उज्जैन। नगर निगम के कंट्रोल रूम प्रभारी राजेश तिवारी को नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता ने निलंबित कर दिया है। कंट्रोल रूम प्रभारी तिवारी ने श्रम न्यायालय में गलत गवाही देकर ऐसे दो लोगों को निगम का नियमित कर्मचारी बता दिया जो नगर निगम के कर्मचारी थे ही नहीं। उन्हें निगम ने लाखों का भुगतान वेतन के रूप में किया था। यह राशि 15 दिन में निगम के कोषालय में जमा कराने के आदेश भी निगमायुक्त ने दिए हैं। नगर निगम से मिली जानकारी के मुताबिक कंट्रोल रूम प्रभारी राजेश तिवारी द्वारा मनसुख पिता गणेश एवं जगदीश पिता नारायण द्वारा श्रम न्यायालय, उज्जैन में दायर प्रकरण का प्रभारी अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया था, बावजूद इसके राजेश तिवारी द्वारा प्रकरण में निगम की ओर से गलत गवाही दी गई कि प्रार्थीगण सफाई कामगारों के रिक्त व स्थाई व स्वीकृत पद पर लगातार संतोषजनक रूप से कार्य किया है।
इस गवाही के कारण जो कर्मचारी नगर निगम में नियमानुसार कार्यरत नहीं थे, उन्हें नियमित नियुक्त करने एवं 29 सितम्बर 2011 से गणना कर सफाई कामगार के पद वेतन एवं एरियरर्स की राशि का भुगतान 90 दिनों में करने के आदेश न्यायालय द्वारा जारी किये गये। यह राशि 29 सितम्बर 2011 से 31 अगस्त 2016 तक कुल रुपये 17 लाख 68 हजार 980 रुपए हुई जिसका भुगतान उक्त दोनों कर्मचारियों को किया गया। इतना ही नहीं इसके बाद से भी दोनों को लगातार वेतन दिया जाता रहा जिसका हिसाब-किताब होना अभी बाकी है। आदेश में निगमायुक्त ने कहा है कि राजेश तिवारी की गवाही के कारण कोर्ट में नगर निगम का पक्ष सही नहीं जा पाया और लापरवाही के कारण ऐसे व्यक्तियों को नियमित कर्मचारी के रूप में नियमित भुगतान करना पड़ा जो निगम के कर्मचारी थे ही नहीं। यही कारण है कि निगमायुक्त ने कल शाम तिवारी को निलंबित कर दिया। साथ ही 15 दिन में 17 लाख 68 हजार रुपए की राशि कोषालय में जमा करने के निर्देश दिए और कहा गया है कि यह राशि जमा नहीं करने पर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी। इसके अलावा भी अब तक के भुगतान की राशि तिवारी से ही वसूली जाएगी।
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