इस बार एक हफ्ते विलंब से मिला वेतन, कई कर्मचारी अभी भी वंचित, ठेकेदारों को भी दे डाला भुगतान का आश्वासन
इंदौर। नगर निगम की माली हालत अत्यंत खस्ता हो गई है, जिसके चलते विकास कार्य तो लगभग ठप पड़े हैं, वहीं हर महीने वेतन बांटने का भी संकट आ रहा है। इसी महीने हफ्तेभर विलंब से वेतन दिया गया और लगभग 35 करोड़ रुपए का बैंक से ओवर ड्राफ्ट लेना पड़ा। अब आज की लोक अदालत से निगम को लगभग 50 करोड़ रुपए कमाई की उम्मीद है, ताकि वेतन सहित अन्य जरूरी खर्च की जुगाड़ हो सके। अभी निगम के चर्चित ठेकेदार पप्पू भाटिया ने भुगतान ना मिलने से त्रस्त होकर आत्महत्या कर ली। लगभग 14-15 करोड़ रुपए की राशि उसकी भी बकाया है, तो अन्य सभी ठेकेदारों की बकाया राशि तो 800 करोड़ तक बताई जा रही है। दरअसल अभी चुनाव के चलते भी निगम राजस्व वसूली पर ध्यान नहीं दे पाया और बीते एक साल से जबसे चुनी हुई परिषद् गठित हुई और आयुक्त भी बदले तब से निगम की गाड़ी पटरी से उतर गई।
साफ-सफाई में भी उसकी भद पीट रही है, तो अतिक्रमण से लेकर अन्य मोर्चों पर भी नाकामी नजर आ रही है। उस पर आर्थिक संकट ने जो निर्माणाधीन कार्य है उन पर भी रोक लगा दी है। ठेकेदार नए टेंडर लेने को ही तैयार नहीं हैं और जो काम अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने करवा लिए उनके भुगतान के लिए अब ठेकेदार इधर से उधर चप्पलें घीस रहे हैं। इधर शासन का खजाना भी खाली है। लिहाजा वहां से भी नगर निगम को आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही है। चूंगी क्षतिपूर्ति सहित अन्य मदों में ही निगम को भी करोड़ों रुपए की राशि शासन से लेना है। मगर प्रदेश सरकार खुद कर्ज ले-लेकर लाडली बहना जैसी योजनाओं के अलावा वेतन बांटने और अन्य खर्चों की पूर्ति कर रही है, तो दूसरी तरफ निगम भी कंगाल हो गया और वेतन भी समय पर नहीं बांट पा रहा है।
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