उज्जैन। कोरोना काल के पहले निजी अस्पताल और क्लीनिक में मरीजों को अपने यहाँ उपचार के लिए लाने की होड़ लगी रहती थी लेकिन अब स्थितियाँ बदल गई हैं। शहर के कई निजी अस्पतालों में आम लोगों से भी कोरोना मरीज जैसा बर्ताव किया जा रहा है। उनके साथ अभद्रता होने की भी खबरे हैं। सरकारी अस्पतालों में भी ऐसे ही नजारे हैं।
कोरोना महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है। देश में भी अब रोजाना लगभग 25 हजार नए केस आने लगे हैं। इसके मुकाबले उज्जैन जिले की स्थिति काफी संतोषजनक है। यहाँ जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दिनरात योद्धाओं की तरह कोरोना से मुकाबला कर रहे हैं और जिले को जैसे-तैसे कोरोना मुक्त कराने में लगे हुए हैं। सामान्य बीमारियों के उपचार की सुविधा के लिए अनलॉक 1 शुरु होते ही जिला प्रशासन ने सरकारी फीवर क्लीनिक के लिए कुछ निजी अस्पताल और क्लीनिक को भी उपचार की अनुमति दी थी। इधर बीते कुछ दिनों से ज्यादातर निजी अस्पतालों में उपचार के लिए पहुँच रहे मरीजों और उनके साथ अटेंडर के साथ काफी रूखा व्यवहार होने लगा है। निजी अस्पताल के काउंटर से लेकर वार्डों तक में मरीज के साथ जाने वाले लोगों के साथ भी कोरोना मरीज जैसा भेदभाव और व्यवहार किया जा रहा है। फ्रीगंज के कई निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के साथ-साथ उनके परिजनों ने इसकी शिकायत की है।
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