नई दिल्ली। कोरोना महामारी की तीसरी लहर (third wave of corona pandemic) दो-तीन सप्ताह बाद ही आ सकती है। इसके पीछे जिम्मेदार (responsible ) भीड़ (crowd) होगी, न कि दूसरी लहर की तरह किसी राज्य का कोई चुनाव। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) (Indian Council of Medical Research (ICMR)) के मुख्य संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. समीरन पांडा (Chief Infectious Disease Specialist Dr. Samiran Panda) ने यह आशंका जताते हुए कहा, अगस्त से देश में कोरोना की तीसरी लहर दिखाई दे सकती है।
पांडा ने गणितीय आकलन के आधार पर आशंका जताई है कि आगामी लहर में रोजाना के मामलों में करीब 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है। अगस्त में आने वाली लहर के दौरान रोजाना एक लाख से अधिक मामले सामने आ सकते हैं।
हालांकि, दूसरी लहर की तुलना में यह काफी कम है, क्योंकि मई के पहले सप्ताह के दौरान देश में रोजाना चार लाख से भी अधिक मामले सामने आए थे। मौजूदा स्थिति देखें तो औसतन 40 से 45 हजार मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। इसी के हिसाब से विशेषज्ञों ने तीसरी लहर में कोरोना के नए मामलों में 50 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान जताया है।
डॉ. पांडा ने कहा कि राज्यों में विधानसभा चुनाव और कोविड सतर्कता नियमों का उल्लंघन दूसरी लहर की बड़ी वजह बना था। इस बार भी लोगों का बेपरवाह होना, अनियंत्रित भीड़ और टीकाकरण पूरा होने से पहले सब कुछ खोलने की आजादी तीसरी लहर के मुख्य कारण बन सकते हैं।
इससे पहले कोरोना टीके पर बनी पैनल के प्रमुख डॉ. वीके पॉल ने भी कहा था कि देश के लिए आगामी 100 से 125 दिन सबसे कठिन हैं, क्योंकि इन्हीं दिनों में टीकाकरण को 50 से 60 फीसदी पार ले जाना है और इसी अवधि में नई लहर को फैलने से रोकना भी है।
नई लहर की आहट, कुछ ऐसे बढ़ रही रफ्तार
13 जुलाई को देश में कोरोना के 31,443 मामले सामने आए थे, जबकि 14 जुलाई को यह 38,792 हो गई। 15 जुलाई को 41,806, 16 जुलाई को 38,949, 17 जुलाई को 38,079 और 18 जुलाई को फिर से 41 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं।
डॉ. पांडा का मानना है कि जनता का साथ न मिलने की वजह से कोरोना का ग्राफ बीच में ही ठहर सा गया है। उतार-चढ़ाव भरी इस स्थिति ने देश को ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया, जहां से नई लहर आ सकती है।
लोग चाहें तो अभी भी देर नहीं हुई
विशेषज्ञों का कहना है कि अब भी देर नहीं हुई है। अगर देश का हरेक व्यक्ति नियमों का ध्यान रखे या फिर आपस में एक दूसरे को नियमों का पालन करने के लिए अगर बोलें तो स्थिति नियंत्रण में आ सकती है।
जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहरिया का कहना है कि अब भी देश दूसरी लहर से बाहर निकलने का प्रयास कर रहा है, लेकिन अगर लोगों ने साथ नहीं दिया तो बाहर आने से पहले तीसरी लहर में देश प्रवेश कर जाएगा।
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