नई दिल्ली। भारत में कोरोना की बढ़ रही दूसरी लहर (Second wave of Corona rising in India) से देश की जीडीपी ग्रोथ पर खतरा (Danger on country’s GDP growth) मंडराने लगा है। 2021 के जनवरी और फरवरी में देश के ज्यादातर बाजारों में ग्राहकों की संख्या बढ़ी थी। साथ ही अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक सकारात्मक दिशा में बढ़ने लगे थे। व्यापारिक गतिविधियों में भी तेजी आई थी। कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के कारण जिस तरह से नाइट कर्फ्यू, आंशिक लॉकडाउन और पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाई जा रही हैं, उससे भारत की जीडीपी रिकवरी की संभावना पर एक बार फिर खतरा मंडराने लगा है।
इंटरनेशनल एजेंसी ब्लूमबर्ग की ओर से कराई गई एक स्टडी का कहना है कि देश की कारोबारी गतिविधियां रफ्तार पकड़ने के बाद एक बार फिर धीमी पड़ने लगी हैं। मार्च से पहले के 5 महीनों में यानी अक्टूबर 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक देश की कारोबारी गतिविधियों में एक समान स्तर की रफ्तार देखी गई थी। इसी तरह इकोनॉमी फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर के मामले में भी देश की अर्थव्यवस्था पिछले 8 महीने के दौरान यानी जुलाई 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक मजबूत स्थिति में आने लगी थी। लेकिन अब कोरोना की दूसरी लहर के कारण कारोबारी गतिविधियों और बाजार की मांग में तेज उतार-चढ़ाव नजर आता है।
सीनियर इकोनॉमिस्ट डॉक्टर केसी बसु का कहना है कि देश की तिमाही विकास दर के आंकड़ों से भी इस बात का साफ पता चलता है कि लॉकडाउन के बाद विकास दर में आई तेज गिरावट और मंदी की बाधा को पार कर भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार का दौर शुरू हो गया था। विकास दर भी इकोनॉमी की रिकवरी के साथ-साथ धीरे-धीरे ही सही, लेकिन आगे बढ़ने लगी थी। लेकिन मार्च महीने के आखिरी दो हफ्तों की अगर बात करें, तो अर्थव्यवस्था की चाल एक बार फिर विपरीत दिशा में बढ़ने लगी है।
इस महीने के आखिरी 2 हफ्तों में कोरोना वायरस के संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है। कोरोना से बचने के लिए कई इलाकों में स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू जैसे उपाय अपनाए जा रहे हैं, जिसके कारण घरेलू बाजार के ग्राहकों में डर का माहौल बनने लगा है। डॉक्टर बसु के मुताबिक भारत की जीडीपी में घरेलू बाजार की खपत की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है। ऐसे में अगर ग्राहकों में डर का माहौल बना और घरेलू खपत में कमी आई, तो उसका सीधा असर विकास दर पर भी पड़ेगा।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर महाराष्ट्र की कारोबारी गतिविधि का काफी असर पड़ता है। देश में अर्थव्यवस्था की गतिविधियों के लिहाज से भी महाराष्ट्र अग्रणी राज्यों में से एक है। लेकिन कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र पर ही पड़ रहा है। कोरोना के बढ़ते असर के कारण महाराष्ट्र में आर्थिक गतिविधियां एक बार फिर ठप होने के कगार पर पहुंच गई हैं। देश की जीडीपी में महाराष्ट्र के हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी है। ऐसे में महाराष्ट्र में आर्थिक गतिविधियों के ठप होने से स्वाभाविक तौर पर देश की अर्थव्यवस्था भी चोटिल होगी।
जानकारों का कहना है कि आगे चलकर महाराष्ट्र के हालात अगर और बिगड़े, तो अर्थव्यवस्था में स्पष्ट कमजोरी दर्ज की जा सकती है। इसी तरह गुजरात, कर्नाटक, पंजाब जैसे राज्यों में कोरोना संकट कायम रहा तो विकास दर एक बार फिर निगेटिव ग्रोथ दिखाना शुरू कर सकती है। (एजेंसी, हि.स.)
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