कानपुर। उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में कोरोना वायरस ने न जाने कितनी जिंदगियों को तिल-तिल मरने को मजबूर किया। यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन आज हम आपको कोरोना वायरस के कहर की एक ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जिसके बारे में न तो आपने कभी सुना होगा और न देखा होगा। बुलंदशहर में कोरोना ने एक हंसते खेलते खुश मिजाज परिवार को ऐसा डसा की पूरा परिवार ही देखते ही देखते तहस नहस हो गया। एक सप्ताह में कोरोना ने परिवार के तीन सदस्यों की जान ले ली और इस परिवार में अगर कोई बचा है तो वह है एक तीन साल का मासूम बच्चा और उसकी बूढ़ी दादी।
बुलंदशहर के लक्ष्मीनगर कालोनी में रहने वाले पेशे से वकील धर्मराज सिंह को एक सप्ताह पहले हल्की खांसी और बुखार के साथ सांस लेने में तकलीफ हुई, तो परिजनों ने उनको शहर के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। जब जांच कराई गई तो कोरोना पॉजिटिव आए और अस्पताल में उपचार की शुरुआत हुई, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया और उनकी महज़ 6 घण्टों की जद्दोजहद के बाद मौत हो गई। परिवार के घर के मुखिया की मौत का सदमा लोग भूले भी नहीं थे कि धर्मराज की भाभी साधना चल बसी।
अंत्येष्टि स्थल से साधना की चिता से अस्थियों के फूलों को चुना भी नहीं गया था कि धर्मराज सिंह की विधवा पुत्रवधु (30) को भी कोरोना ने निगल लिया। अब परिवार में धर्मराज सिंह की बुजुर्ग पत्नी सुषमा और उनका तीन साल का पौत्र विवान बचे है। इस परिवार का मासूम विवान और बूढ़ी दादी बची हैं।
शहर के प्रतिष्टित परिवार का यूं तहस नहस हो जाना शहर में चर्चा का विषय तो है ही साथ ही यह भी सोचने को मजबूर कर रहा है कि कोरोना वायरस बख्शने के मूड में कतई नहीं है। इसलिए आपसे अपील करते है कि महामारी के इस बुरे वक्त में हिम्मत बनाए रखें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और मास्क को अनिवार्य रूप से पहनते रहें ताकि आप महफूज रहें। वहीं सुषमा का कहना का सरकार को कुछ करना चाहिए सर से दादा, मां और पिता का साया उठने के बाद वह विवान की परवरिश कैसे कर पाएंगी उनको भी नहीं पता।
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