वाशिंगटन. कोरोना वायरस (Coronavirus In India) का डेल्टा स्वरूप (Delta Variant) कोविड रोधी टीकाकरण (Anti Covid Vaccination) से उत्पन्न एंटीबॉडीज से बच निकलने में सक्षम नहीं है. यह बात पत्रिका ‘इम्यूनिटी’ में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में कही गई है. इससे यह व्याख्या करने में मदद मिल सकती है कि टीकाकरण करा चुके अधिकतर लोग घातक डेल्टा स्वरूप के संक्रमण से बच निकलने में क्यों सफल रहे.
यह अध्ययन अमेरिका स्थित वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं ने किया, जिसमें फाइजर का कोविड रोधी टीका ले चुके लोगों के शरीर में बनीं एंटीबॉडीज का आकलन किया गया. अध्ययन में पाया गया कि कोरोना वायरस का डेल्टा स्वरूप कोविड रोधी टीकाकरण से उत्पन्न एंटीबॉडीज से बच निकलने में सक्षम नहीं है.
वाशिंगटन विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर और शोध के को-सीनियर ऑथर जैको बून ने कहा, ‘डेल्टा ने अन्य वैरिएंट्स को पीछे छोड़ दिया है, इसका मतलब यह नहीं है कि यह अन्य प्रकारों की तुलना में हमारे एंटीबॉडी पर तेज हमला करेगा.’ उन्होंने कहा इस बात के कोई सबूत नहीं मिले हैं कि डेल्टा वैरिएंट, वैक्सीन को मात दे सकता है.
उधर अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने बुधवार को सभी अमेरिकियों को कोविड-19 रोधी बूस्टर खुराक लेने की सिफारिश की, ताकि संक्रमण से उनकी सुरक्षा बढ़ायी जा सके. अधिकारियों ने यह सिफारिश ऐसे समय की है, जब देश में डेल्टा मामलों में बढ़ोतरी के साथ ही इसके संकेत सामने आये हैं कि टीकों की प्रभावशीलता कम हो रही है.
रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र के निदेशक और अन्य शीर्ष अधिकारियों द्वारा उल्लेखित योजना, लोगों को फाइजर या मॉडर्ना टीके की दूसरी खुराक लेने के आठ महीने बाद अतिरिक्त खुराक लेने की सिफारिश करती है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि जिन लोगों ने जॉनसन एंड जॉनसन की एकल खुराक वाला टीका प्राप्त किया है, उन्हें भी शायद अतिरिक्त खुराकों की आवश्यकता होगी.
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