नई दिल्ली। देश के 500 से भी ज्यादा जिलों में कोरोना की संक्रमण दर पांच फीसदी से नीचे आ चुकी है। स्थिति यह है कि बीते 44 दिन में 90 फीसदी तक सक्रिय मामलों में कमी आई है। बावजूद इसके डेल्टा वैरिएंट (delta variant) के मामले कम नहीं हो रहे हैं।
जीनोम सिक्वेसिंग (genome sequencing) के दौरान औसतन हर सैंपल इससे संक्रमित मिल रहा है। सरकार जिस जीआईएसआईडी का हवाला देते हुए कोरोना वायरस के विभिन्न वैरिएंट की जानकारी दे रही है। उसी जीआईएसआईडी के अनुसार भारत दुनिया का दूसरा ऐसा देश है जहां डेल्टा वैरिएंट के मामले सबसे ज्यादा हैं। अब तक बीते चार सप्ताह में 54 सैंपल की सिक्वेसिंग में इसकी मौजूदगी दर्ज की गई है। अब तक भारत में 6,656 सैंपल में डेल्टा मिल चुका है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरी लहर को देखते हुए भले ही संक्रमण काफी हद तक नियंत्रण में आया हो, लेकिन एक सच यह भी है कि वायरस (virus) की मौजूदगी अभी भी उसी रफ्तार से देखने को मिल रही है। डेल्टा वैरिएंट के चलते ही भारत में मार्च से मई के बीच कोरोना महामारी का आक्रमक रुप देखने को मिला था जिसने गांव-गांव तक लोगों को चपेट में ले लिया।
नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी की शोद्यार्थी बानी जोली का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट को लेकर देश में काफी चर्चाएं चल रही हैं लेकिन डेल्टा प्लस के मामले अभी बहुत कम हैं। इस पर अधिक अध्ययन भी नहीं आए हैं। जबकि अकेले डेल्टा वैरिएंट को लेकर ही सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में देखने को मिल रही है। इसी वैरिएंट के चलते देश में ब्रेक थ्रो इंफेक्शन भी चार से बढ़कर नौ से 10 फीसदी तक जा पहुंचा है। ब्रेक थ्रो इंफेक्शन (infection) का मतलब वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद संक्रमित होने वाले मरीजों से है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में अभी तक 45 हजार सैंपल की सिक्वेसिंग हो चुकी है लेकिन अंतरराष्ट्रीय संगठन जीआईएसआईडी (GISID) की वेबसाइट पर 28,150 सैंपल की जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक, पिछले एक महीने के दौरान भारत में 96 फीसदी से अधिक सैंपल में डेल्टा वैरिएंट मिला है। भारत के अलावा दुनिया में सबसे ज्यादा डेल्टा वैरिएंट की मौजूदगी ब्रिटेन में है। यहां अब तक 56,100 सैंपल में यह मिल चुका है।
यह कहना जल्दबाजी होगी कि डेल्टा प्लस से तीसरी लहर आएगी : आईसीएमआर
आईसीएमआर ने कहा है कि अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि भारत में मिले डेल्टा वायरस के कारण कोरोना की तीसरी लहर आएगी। आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. सुमित अग्रवाल (Dr. Sumit Agarwal) ने बताया कि तीसरी लहर आने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। बताया जाता है कि वायरस का डेल्टा प्लस रूप ज्यादा संक्रामक है। इसको लेकर कई अध्ययन जारी हैं। वायरस का यह रूप ज्यादातर महाराष्ट्र, केरल और मध्यप्रदेश में मिल रहा है।
सरकार ने प्रभावित जिलों में इसकी रोकथाम के प्रयास तेज करने का निर्देश दिया है। डॉ अग्रवाल ने कहा, यह सभी एमआरएनए वायरस का रूप बदलना स्वाभाविक है। इन्हें रोका नहीं जा सकता, हम इन्हें नियंत्रित नहीं कर सकते। इसलिए जैसे-जैसे समय गुजरेगा वैसे-वैसे हमें इसके और म्यूटेशन देखने को मिल सकता है और इसलिए यह वायरस हमारे लिए चिंता का विषय है। वायरस (virus) के इस स्वरूप के अब तक तीन प्रमुख लक्षणों की पहचान हुई है।
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