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    नाक में ही खत्‍म हो जाएगा कोरोना, भारत में बना ये नेजल स्प्रे है 94% इफेक्टिव : शोध

  • July 15, 2022

    नई दिल्ली। हेल्थ जर्नल ‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ साउथ ईस्ट एशिया’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, तीसरे चरण के परीक्षण के परिणामों (results) के अनुसार, भारत में COVID-19 के उच्च जोखिम वाले वयस्क मरीजों को दी गई नेजल स्प्रे (नाक के रास्ते लिया जाने वाला एंटी-कोविड स्प्रे) ने 24 घंटे के भीतर वायरल लोड को 94 प्रतिशत और 48 घंटे में 99 प्रतिशत तक कम कर दिया. इसी साल फरवरी में सरकार से अनुमति लेने वाले इस नेजल स्प्रे को ‘फैबी स्प्रे’ (FabiSpray) नाम से लॉन्च किया गया था. मुंबई स्थित दवा कंपनी ग्लेनमार्क ने भारत में करीब 20 स्थानों पर टीकाकरण और बिना टीकाकरण (vaccination) वाले 306 वयस्कों पर नाइट्रिक ऑक्साइड नेजल स्प्रे (NONS) का अध्ययन किया, जो COVID-19 से संक्रमित थे.



    ग्लेनमार्क की क्लीनिक डेवलपमेंट प्रमुख मोनिका टंडन ने कहा, नेजल स्प्रे का कोरोना संक्रमित मरीजों पर देश के 20 अस्पतालों में परीक्षण हुआ. इस दौरान हल्के लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों (जिन्होंने टीका लिया) और बिना टीका लेने वाले कोरोना मरीजों को अलग-अलग समूह में रखा गया. एक को नेजल स्प्रे यानी नाक के जरिए नाइट्रिक ऑक्साइड दी गई, जबकि दूसरे समूह को एक प्लेसीबो दिया गया. सात दिन बाद परिणामों की समीक्षा की गई तो असर का पता चला. उच्च जोखिम वाले कोरोना रोगियों(corona patients), जिन्होंने नेजल स्प्रे लिया था, उनमें 24 घंटे के भीतर वायरल लोड में 94% तक की कमी देखी गई. नेजल स्प्रे का क्लीनिकल ट्रायल कोरोना के डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variants) के सर्ज के दौरान किया गया था.

    शोध में पाया गया कि एनओएनएस प्राप्त करने वाले उच्च जोखिम वाले रोगियों में 24 घंटों के भीतर वायरल लोड में उल्लेखनीय कमी आई, जो 7 दिनों के उपचार के दौरान बनी रही. जर्नल में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि NONS के साथ उपचार के 24 घंटे के भीतर वायरल लोड 93.7 प्रतिशत और 48 घंटे के भीतर 99 प्रतिशत कम हो गया. टीकाकरण और बिना टीकाकरण वाले समूहों में इसी तरह के परिणाम देखे गए. रिसर्च पेपर के लेखकों में से एक और ग्लेनमार्क की सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मोनिका टंडन ने कहा, ‘मजबूत डबल-ब्लाइंड ट्रायल ने NONS की महत्वपूर्ण प्रभावकारिता और उल्लेखनीय सुरक्षा का प्रदर्शन किया.’

    मोनिका टंडन ने एक बयान में कहा, ‘इस थेरेपी में, COVID-19 प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है. इसका उपयोग बहुत आसान है.’ रिसर्च पेपर में कहा गया है कि नाइट्रिक ऑक्साइड, कोरोनो के वायरस को नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करने से रोकता है, वायरस को मारता है और इसकी प्रतिकृति को रोकता है. यही वजह है कि एनओएनएस के साथ वायरल लोड इतनी तेजी से कम होता है. उपचार शुरू होने के बाद एनओएनएस समूह में वायरल इलाज का औसत समय 3 दिन और प्लेसीबो समूह में 7 दिन रहा. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने इस साल फरवरी में नेजल स्प्रे को इमरजेंसी यूज अप्रूवल दिया था.

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