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    कोरोना की लहर, खतरा हर पहर

  • December 24, 2022

    – कमलेश पांडेय

    लीजिए, देश-दुनिया पर कोरोना संक्रमण का खतरा फिर मंडराने लगा है। चीन में लगातार बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार कोविड 19 के ओमीक्रोन स्वरूप के सब-वेरिएंट बीएफ.7 के कई मामले भारत के गुजरात और ओडिशा आदि में भी सामने आए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है भारत को इससे ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, क्यों कि प्राकृतिक और टीकाकरण से प्राप्त हाइब्रीड इम्युनिटी के चलते देश को खतरा सबसे न्यूनतम होगा। यह बात अलग बात है कि यदि कोई नया वेरिएंट जन्म लेता है तो फिर भारत में भी चुनौती बढ़ सकती है। भारत अब तक कोरोना की तीन लहरों का सामना कर चुका है। इसके लिए अल्फा, डेल्टा और ओमीक्रोन वेरिएंट जिम्मेदार थे।


    चीन में हाहाकार के लिए ओमीक्रोन के सब-वेरिएंट बीएफ.7 को जिम्मेदार माना गया है। चीन के साथ अमेरिका, जापान, अर्जेंटीना, दक्षिण कोरिया और ब्राजील में भी कोरोना के केस बढ़ने लगे हैं। बीएफ.7 पर डब्ल्यूएचओ का कहना है कि यह अब तक का सबसे तेजी से फैलने वाला वेरिएंट है। यह कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन में आर346टी म्यूटेशन से बना है। इसी की वजह से बीएफ.7 पर एंटीबॉडी का असर नहीं होता। यह एंटीबॉडी को हराकर शरीर में घुसने की क्षमता रखता है। इससे बचने के लिए टीकाकरण को अब भी सबसे अच्छा हथियार माना जा रहा है। इसलिए ब्रिटेन ने हाल में मॉडर्ना के टीके बायवैलेंट बूस्टर्स को मंजूरी दी है। यह कोरोना के सभी सब-वेरिएंट को खत्म करने में कारगर है।

    कोरोना की मौजूदा वैश्विक स्थिति पर केंद्र सरकार सतर्क हो चुकी है। उसने अधिकारियों को सजग रहने और अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने को कहा है। दिल्ली समेत सभी राज्यों में सतर्कता बढ़ा दी गई है। भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भले ही देश में लगातार कोरोना मामलों में गिरावट का रुझान है और गत सप्ताह रोजाना औसतन 158 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं। लेकिन कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। इसलिए आप घबराएं नहीं, क्योंकि सरकार किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। उसने लोगों को सुझाव दिया है कि भीड़ में मास्क पहनें और कोरोना टीके की तीसरी यानी एहतियाती खुराक जरूर लें।

    जहां तक दुनिया के अन्य देशों की बात है तो यहां पर यह बताना जरूरी है कि वैश्विक स्तर पर पिछले 6 सप्ताहों के दौरान कोरोना मरीजों में लगातार वृद्धि हो रही है। विश्व में रोजाना औसत संक्रमण 5.9 लाख है। अनुमान है कि अगले कुछ महीनों में चीन में 80 करोड़ लोग संक्रमित हो सकते हैं। मात्र तीन माह में 10 लाख लोगों की मौत की आशंका जताई गई है। यही वजह है कि भारत के हवाई अड्डों पर चीन और अन्य देशों से आने वाले यात्रियों की औचक कोरोना जांच शुरू कर दी गई है।

    भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के एक अध्ययन से पता चलता है कि जब भी कोई कोरोना लहर देश में आई तो लगभग 65-70 फीसदी लोग उससे प्रभावित हुए। कई राज्यों में यह आंकड़ा 90 फीसदी तक रहा है। मोटे तौर पर देश के 80-90 फीसदी लोग कोरोना का सामना कर चुके हैं। यानी कि उनमें प्राकृतिक रूप से प्रतिरोधक क्षमता आ चुकी है। इसी प्रकार 102 करोड़ से अधिक लोग कोरोना टीके की पहली खुराक और 95 करोड़ लोग दूसरी खुराक ले चुके हैं। इसका अभिप्राय यह है कि यदि पांच साल से छोटे बच्चों को छोड़ दिया जाए तो तकरीबन 95 फीसदी आबादी का टीकाकरण हो चुका है।

    कोरोना संक्रमण के बचाव में प्राकृतिक रूप से हासिल प्रतिरोधक क्षमता सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। कुछ अलग-अलग अध्ययन में यह दावा किया गया था कि प्राकृतिक और टीके दोनों की मिली-जुली हाइब्रीड प्रतिरोध क्षमता लंबे समय तक टिकाऊ रहती है। भारतीय आबादी ने दोनों तरीकों से यह क्षमता हासिल की है। इस हिसाब से भारतीयों में कोरोना के नए संक्रमणों का खतरा न्यूनतम हो सकता है।

    अब यदि कोई नया वेरिएंट आता है और वह पहले के वेरिएंट से काफी अलग होता है तो चौथी लहर का खतरा बढ़ सकता है। यदि चीन की अनदेखी भी कर दें तो अमेरिका व फ्रांस में कोविड के मामलों का बढ़ना चिंताजनक है क्योंकि वहां पहले अधिक लोग संक्रमित हुए थे। इन देशों में ज्यादातर फाइजर के टीके इश्तेमाल हुए थे।जो एमआरएनए तकनीक पर था। यह तकनीक टीके में पहलीबार प्रयुक्त हुई, इसलिए इसकी प्रभावकारिता को लेकर भी पूराने अध्ययन नहीं हैं। वहीं भारतीय टीकों में समूचे निष्क्रिय वायरस का इस्तेमाल किया गया है जो सबसे पुरानी व प्रभावी टीका पद्धति है।

    उल्लेखनीय है कि साल 2019 में दिसंबर में ही चीन में कोरोना वायरस नाम की नई महामारी ने दस्तक दी थी। इसके बाद पूरी दुनिया में इस वायरस ने तबाही मचाई। ऐसे में दुनिया को ये चिंता सताने लगी है कि क्या एक बार फिर से नए साल की खुशियों पर कोरोना वायरस नाम का ग्रहण लगने वाला है? याद दिला दें कि दिसंबर-जनवरी 2019 में कोरोना के बढ़े मामलों में क्रिसमस-न्यू ईयर पर होने वाली भीड़भाड़ का भी बड़ा योगदान था, क्योंकि यह वायरस एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है। क्रिसमस-न्यू ईयर 2022 के समय कोरोना के मामले बढ़ने से दुनिया वापस उसी जगह पर आकर खड़ी हो गई है जहां तीन साल पहले थी। एक्सपर्ट ने चिंता जताई है कि अगर दिसंबर के आखिरी सप्ताह और जनवरी में आने वाले फेस्टिवल पर सावधानी नहीं बरती गई तो कोरोना विस्फोट भी हो सकता है।

    (लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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