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    एक ही शख्स 4 बार हुआ Corona संक्रमित, 2 बार डोनैट किया प्लाज्मा

  • May 07, 2021

    नई दिल्‍ली । इन दिनों हर कोई यही प्रार्थना कर रहा है कि उन्हें कोरोना ना हो जाए और अगर हो भी जाए, तो कम से कम अस्पताल जाने की नौबत न आए। कई ऐसे लोग भी हैं, जो पिछले साल कोरोना (Corona) से उबरने के बाद यह सोच रहे थे कि अब उन्हें दोबारा यह बीमारी नहीं होगी, लेकिन इस साल फिर से वे कोरोना (Corona) की चपेट में आ गए। साउथ दिल्ली के कोटला मुबारकपुर स्थित खैरपुर गांव के रहने वाले 37 वर्षीय योगेंद्र बैसोया इसका जीता जागता उदारहण है। उन्हें एक-दो बार नहीं, बल्कि 4 बार कोरोना हो चुका है। मगर उन्होंने हर बार हिम्मत के साथ कोरोना का सामना किया और अपने सकारात्मक रवैये की वजह से उसे हराने में कामयाब रहे। ठीक होने के बाद वह दूसरे मरीजों की जान बचाने के लिए दो बार अपना प्लाज्मा (Plasma) भी डोनेट कर चुके हैं।

    इस दौरान उनके परिजन भी कोरोना की चपेट में आए और दूसरी बार जब कोरोना हुआ था, तब तो उन्हें ऑक्सिजन सपोर्ट पर भी जाना पड़ा, लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। चौथी बार तो उन्होंने ठान रखा था कि वह किसी भी कीमत पर अस्पताल नहीं जाएंगे और घर में ही अपना इलाज करवाएंगे। योगेंद्र ने ऐसा किया और इस बार भी बिना ऑक्सिजन सपोर्ट के कोरोना पर जीत हासिल की। हालांकि, बार-बार इस संक्रमण की चपेट में आने से उनके परिजन जरूरी काफी चिंतित रहे और इसलिए इस बार ठीक होते ही वह ताजी हवा और साफ-सुथरे और सुरक्षित माहौल में रहने के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के साथ फरीदाबाद के बुआपुर गांव में अपने सुसराल चले गए हैं, जहां का माहौल देखकर वह और ज्यादा हैरान हैं, क्योंकि वहां के लोग दिल्ली के मुकाबले कहीं ज्यादा अच्छे तरीके से कोविड प्रोटोकॉल का पालन कर रहे हैं।


    प्रोटोकॉल तोड़ने और लापरवाही से हुआ हर बार कोरोना
    एक एमएनसी में नेटवर्क सिक्योरिटी इंजीनियर योगेंद्र के परिवार में माता-पिता के अलावा पत्नी और दो बच्चे हैं। उनकी पत्नी भी उन्हीं की कंपनी में उनके साथ काम करती हैं। योगेंद्र को पिछले साल जून में पहली बार कोरोना हुआ। उसके बाद सितंबर में हुआ, लेकिन 14 दिन बाद जब उन्होंने अपना दोबारा टेस्ट कराया, तब भी वह पॉजिटिव निकले और करीब एक महीने बाद जाकर वह ठीक हो पाए। तीसरी बार जनवरी में और चौथी बार पिछले महीने वह कोरोना की चपेट में आए। इस दौरान उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। योगेंद्र बिना किसी गुरेज के यह मानते हैं कि हर बार उनकी अपनी लापरवाही और ओवर कॉन्फिडेंस के चलते वह कोरोना (Corona) की चपेट में आए, बल्कि वह खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि चार बार कोरोना होने के बाद भी वह बच गए।

    कोरोना से बचाव के अपने मंत्र साझा करते हुए उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना बेहद जरूरी है। मुझे जब भी कोरोना हुआ, इस प्रोटोकॉल को तोड़ने और लापरवाही बरतने की वजह से ही हुआ। एक बार मैं दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाने चला गया। एक बार चंडीगढ़ घूमने चला गया और एक बार शादी में जाने और एक बार भीड़भाड़ वाली जगह पर नियमों का ध्यान नहीं रखने की वजह से वह कोरोना की चपेट में आए।

    नियमों का पालन करना बहुत जरूरी
    योगेंद्र का कहना है कि कोरोना को बिल्कुल भी हल्के में ना लें और नियमों का सख्ती से पालन करें। खासकर घर से बाहर निकलते वक्त अच्छी तरह से मास्क पहनना, हाथ साफ रखना और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना बहुत जरूरी है। दूसरा, अगर हल्के से भी लक्षण नजर आए, तो टेस्ट कराने या उसकी रिपोर्ट आने का इंतजार ना करें। तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेकर पहले दिन से ही ट्रीटमेंट शुरू कर दें और अपने आप को आइसोलेट कर लें। कोरोना से जल्दी उबरने में घरेलू उपायों से भी उन्हें काफी मदद मिली। योग, प्राणायम, काढ़ा, स्टीम, आयुर्वेदिक दवाइयां लेने जैसे तमाम उपायों को उन्होंने कारगर बताया। उनका मानना है कि इस बार युवाओं के कोरोना की चपेट में आने की एक बड़ी वजह स्मोकिंग और हुक्का पीना है, जो सीधे फेफड़ों पर असर डालते हैं और जब कोरोना होता है, तब पता चलता है कि इन आदतों का कितना नुकसान होता है। हालांकि वह खुद शराब, सिगरेट आदि से दूर रहते हैं, पर उनकी सलाह है कि अगर युवाओं को कोरोना से बचना है, तो इन चीजों से दूर रहना होगा। इसके अलावा खुद को पॉजिटिव बनाए रखना, नकारात्मक खबरों से दूर रहना और परिवार के साथ समय बिताना, दोस्तों रिश्तेदारों से बात करते रहना बहुत जरूरी है। इससे आपको हौसला मिलता है और बीमारी से जल्दी उबरने की ताकत मिलती है।

    ​70 साल के बुजुर्ग रोजाना 200 जरूरतमंदों को खिला रहे खाना
    डीटीसी के चीफ जनरल मैनेजर पद से रिटायर्ड जसवंत सिंह मल्होत्रा (70) रोजाना कोरोना मरीजों और जरूरतमंदों के बीच खाना बांट रहे हैं। अलग-अलग एरिया में रोजाना 200 लोगों को दोपहर का खाना खिला रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सिजन, दवाईयां और अस्पताल में इलाज तक निशुल्क मुहैया करवा रहे हैं। कई लोगों की टीम वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर इस काम को अंजाम दे रही है। वॉट्सऐप ग्रुप पर जानकारी मिलती है, वॉलंटियर्स मदद के लिए आगे आ जाते हैं। जसवंत सिंह प्रीतमपुरा के राशमी अपार्टमेंट में रहते हैं।

    जसवंत ने बताया कि जरूरतमंदों को खाना खिलाने का काम उन्होंने 2 फरवरी से शुरू किया था, जो 17 मार्च तक लगातार जारी रहा। इस दौरान हम रोजाना 100 लोगों को खाना खिलाते थे, लेकिन अब पिछले तीन दिनों से हम 200 लोगों की बीच जा रहे हैं। हमारी कोशिश है कि कोरोना मरीजों के साथ-साथ जरूरतमंदों तक खाना पहुंचाया जाए। लॉकडाउन के लगने के बाद से ही दिहाड़ी मजदूरों का काम ठप है। काफी ऐसे लोग हैं, जो रोजाना कमाते और खाते हैं। ऐसे में ऐसे मजदूर इस लॉकडाउन में भूखा ना रह जाए, हमें जहां-जहां से जानकारी मिलती हैं, हम उन तक खाना पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इसके साथ ही ऐसे कोरोना मरीज, जो घर पर ही हैं और उन्हें खाना बनाने में परेशानी आ रही है। हम उनतक भी खाना पहुंचा रहे हैं। इस काम में हमें एम्पावरिंग फाउंडेशन की चेयरमैन मेनका सोनी का काफी सहयोग मिल रहा है। मेनका सोनी यूएसए के सिएटल शहर में रोजाना 100 जरूरतमंदों को खाना खिला रही हैं। इसके अलावा मां की रसोई, होप फाउंडेशन के अलावा विजय मल्होत्रा, कादंबिनी, विकास बरोका, जेपीएस मल्होत्रा, रेखा गुप्ता और जोगिंद्र सिंह का सहयोग मिल रहा है। हम सभी मिलकर काम कर रहे हैं।

    कोरोना से जंग जीतकर अब दूसरों की सेवा कर रहे हैं राहुल
    हम पूरे परिवार के साथ कोरोना पॉजिटिव हो गए थे, बेटे का ऑक्सिजन लेवल 88-89 तक चला गया। फिर भी हम घबराए नहीं। हिम्मत के साथ काम लिया और कोरोना से जंग जीत गए। अब हम दूसरों की सेवा कर रहे हैं। कई दिनों से लाइन में लगकर ऑक्सिजन सिलिंडर भरवा रहे हैं। राहुल कपूर (43) प्रीतमपुरा में परिवार के साथ रहते हैं। राहुल ने बताया कि उन्होंने खुद दूसरी बार कोरोना को हराया है। कुछ दिन पहले मेरे साथ धीरे-धीरे परिवार के अन्य सदस्य पत्नी हेमा (43), बेटी तनिषा (13), बेटा कनन (17) और मेड सुनीता (24) सभी की तबीयत खराब होने लगी। कोरोना के लक्षण लक्षण दिखने पर समय ना गंवाते हुए मैने तुरंत पंजाबी बाग में होमियोपैथिक क्लीनिक चल रहीं डॉक्टर नेहा से संपर्क किया। जिसके बाद उन्होंने कुछ दवाइयां दीं, तुरंत ही हमने दवाइयां शुरू कर दीं। परिवार के सभी सदस्य धीरे-धीरे ठीक होने लगे, लेकिन इस दौरान बेटे की तबियत बिगड़ने लगी। बेटे का ऑक्सिजन लेवल 88-89 तक चला गया। बेटे को पेट के बल लिटा दिया, एकसरसाइज शुरू करवाई। जिसके बाद बेटे का ऑक्सिजन लेवल 92 हो गया। डेढ़ दिन बाद ऑक्सिजन लेवल 95 से ऊपर चला गया। राहुल ने बताया कि इससे पहले उनके पिता रविंद्र कपूर (76) की तबियत खराब हुई। 5 अप्रैल को पता चला कि पिता को कैंसर है। 7 अप्रैल को कोरोना का पता चला। इस दौरान पिता ने कोरोना से जंग तो जीत ली, लेकिन कैंसर से 23 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।

    कोरोना से जंग जीतते ही सेवा में जुट गए राहुल
    राहुल सही होते ही लोगों की सेवा में जुट गए हैं। राहुल ने बताया कि उनके एक दोस्त की मां कोरोना पॉजिटिव हैं और वह एक अस्पताल में आईसीयू में एडमिट हैं, दोस्त के पास अस्पताल से बार-बार कॉल पर जानकारी मिलती है कि उनका ऑक्सिजन खत्म होने वाला है, खुद का ऑक्सिजन लेकर आएं। पिछले 7-8 दिनों से प्रतिदिन कई-कई घंटे लाइन में खड़े रहकर जैसे-तैसे ऑक्सिजन मिल रही है। लेकिन दो से तीन दिनों से वह भी नहीं मिल रही है।

    कोरोना मरीजों के घर तक निशुल्क पहुंचा रहे खाना
    जो लोग कोरोना पॉजिटिव हैं और घर में ही आइसोलेट हैं और खाना नहीं बना पा रहे हैं, ऐसे लोगों को ए ब्लॉक जनकपुरी श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा के ‘सिंह सुरमे निशकाम सेवक जत्था’ की ओर से खाना बनाकर उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है। 70 से 100 लोगों को रोजाना खाना पहुंचा रहे हैं। लोगों की सेवा कर रहे हरमीत सिंह और अरविंदरजीत सिंह ने कहा कि इस महामारी से हर तबका प्रभावित है। हर कोई परेशान हैं। कोरोना पॉजिव होने के बाद कई लोग खाना नहीं बना पाते हैं। ऐसे लोगों की मदद में हमलोग जुटे हैं। कई बुजुर्ग भी ऐसे हैं, जो घर पर अकेले हैं और खाना नहीं बना पा रहे हैं। ऐसे लोग हमसे संपर्क करते हैं और हम उन तक खाना पहुंचा रहे हैं। इस काम में कई साथी एक साथ मिलकर पहले सामान लाते हैं। फिर खुद ही खाना बनाते हैं। जिसके बाद खाने के पैकेट तैयार कर हम उन तक पहुंचते हैं। यह सेवा हम जनकपुरी इलाके में कर रहे हैं। इस काम में रमनीत सिंह, अंगद, चिराग अरोड़ा के अलावा गुरुद्वारे के सेवादार और मुख्य हेड ग्रंथी भी जुड़े हैं।

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