बीजिंग। कोरोना वायरस (corona virus) के संक्रमण से प्रभावित ज्यादातर देशों में हालात अब सामान्य हो रहे हैं। वहीं चीन(china) में एक बार फिर से कोविड-19(covid-19 ) केस बढ़ रहे हैं, जिस पर काबू पाने में प्रशासन को काफी दिक्कतें पेश आ रही हैं। हालात हर गुजरते दिन बदतर होते जा रहे हैं। ड्रैगन में बने इस संकट के दो अहम कारण हैं। सबसे पहले, बीजिंग की ‘जीरो कोविड’ पॉलिसी का फेल होना और दूसरा है कोरोना वायरस के खिलाफ चीनी वैक्सीन्स असरदार साबित नहीं होना।
चीनी वैक्सीन SinoVac और SinoPharm कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए विकसित किए गए पहले टीकों में से हैं। चीन ने इन टीकों को अलग-अलग देशों में निर्यात किया और कुछ गरीब देशों को दान भी दिया। समय के साथ इन टीकों के अप्रभावी होने की शिकायतें आने लगीं, लेकिन चीन ने इन रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया।
SinoVac लेने के बाद भी 3 प्रतिशत बुजुर्गों की मौत
एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, 80 वर्ष से अधिक आयु के 3 प्रतिशत लोगों की मौत चीनी वैक्सीन SinoVac की दो खुराक लेने के बाद हुई। एक खुराक लेने वालों में मृत्यु दर 6 प्रतिशत है। इसके अलावा, चीनी राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग के एक दस्तावेज से पता चला है कि चीनी टीके की वजह से ल्यूकेमिया की शिकायत बढ़ने लगी।
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