जेनेवा । डेनमार्क में SARS-CoV-2 के अलग किस्म के कोरोना संक्रमण 214 मामलों की पहचान की गई है। ये मामले मिंक यानी उदबिलाव से जुड़े बताए जाते हैं। बीते पांच नवंबर को इनमें से 12 मामलों में एक खास किस्म की कोरोना स्ट्रेन पाई गई है। इस खुलासे के बाद दुनिया में नए खतरे की आशंकाएं जताई जाने लगी हैं। कोरोना वायरस में हुए बदलावों को लेकर डेनमार्क की सरकार एक करोड़ 70 लाख मिंक को मारने की योजना बना रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अधिकारियों का कहना है कि मिंक नए SARS-CoV-2 वायरस के लिए भंडार गृह साबित हुए हैं। डेनमार्क में कोरोना वायरस की परिवर्तित यानी खास किस्म (mutated strain) की इस स्ट्रेन से एक दर्जन लोगों में संक्रमण हुआ है। कोपेनहेगन स्थित यूरोपीय कार्यालय में विश्व स्वास्थ्य संगठन की आपात अधिकारी कैथरीन स्मॉलवुड (Catherine Smallwood) ने कहा कि यह निश्चित रूप से दुनिया के लिए बड़ा जोखिम है।
कैथरीन (Catherine Smallwood) ने कहा कि मिंक की आबादी इंसानों में कोरोना की इस नई नस्ल के फैलने में मददगार साबित हो सकती है। इसके बाद यह इंसानों से इंसानों के बीच फैलने लगेगा। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि कोरोना संक्रमण की काट के लिए दुनियाभर में जिन टीकों पर काम हो रहा है क्या वे इस परिवर्तित नस्ल पर भी कारगर होंगे। यदि ये टीके बेअसर साबित हुए तो दुनियाभर में बड़ा नुकसान हो सकता है।
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य विज्ञानी सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि डेनमार्क में पाई गई कोरोना की नई बदली हुई नस्ल यानी स्ट्रेन टीकों की प्रभावशीलता को बेअसर कर देगी। उन्होंने यह भी कहा कि हमें इस बदलाव का दुष्प्रभाव जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। मुझे नहीं लगता है कि हमें किसी जल्दबाजी में किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।
सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि कोरोना वायरस यानी SARS-CoV-2 में हुआ यह विशेष उत्परिवर्तन वैक्सीन प्रभावकारिता को प्रभावित करेगा या नहीं… मौजूदा वक्त में हमारे पास कोई सबूत नहीं है कि ऐसा होगा। वहीं डब्ल्यूएचओ हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम में कार्यरत विज्ञानी लीड मारिया वान केरखोव ने भी कहा कि अभी कुछ कहने से पहले कोरोना में हुए इस बदलाव का अध्ययन करने की जरूरत है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के हेल्थ इमर्जेंसी प्रोग्राम के कार्यकारी निदेशक माइकल रेयान ने कहा कि अभी तक कोई सबूत नहीं है कि कोरोना में हुआ यह उत्परिवर्तन अब तक के वायरस से अलग व्यवहार करता है। इसमें बदलाव भले ही हुआ हो लेकिन यह अभी भी एक ही वायरस है। हमें इस बात का मूल्यांकन करना है कि क्या इस वायरस के फैलने में कोई अंतर है। क्या इस बदलाव से इसके संक्रमण के इलाज कोई असर पड़ेगा। फिलहाल किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले हमें एक लंबा रास्ता तय करना होगा।
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