– योगेश कुमार सोनी
कोरोना की वैक्सीन का इंतजार भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया कर रही थी। हमारे देश का सौभाग्य है कि इसे अपने यहां तैयार किया गया है। 16 जनवरी से पूरे भारत में चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन लगने की प्रक्रिया भी शुरु हो चुकी है। प्रमाणिकता के लिए देश के सबसे बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों व केंद्र सरकार की योजना के अनुसार पहले वैक्सीन स्वास्थ्यकर्मियों को दी जा रही है। सभी राज्यों में डॉक्टरों, नर्सों और फ्रंटलाइन के अन्य स्वास्थकर्मियों को टीका लगाया जा रहा है।
पूरी दुनिया को एकसाथ संकट में डालने वाले जानलेवा कोरोना वायरस से हर कोई परेशान है। अमेरिका के बाद भारत दुनिया का दूसरा देश है जहां कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे ज्यादा केस आए हैं। इसके अलावा बाकी देश भी इस संकट से निकलने के लिए प्रयासरत हैं लेकिन हमारे यहां वैक्सीन आने पर कुछ लोग परेशान हो रहे हैं। ऐसे लोग अपनी राजनीति चमकाने के लिए आमजन का भी नुकसान कर रहे हैं। सही काम न करने पर राजनीति करना या केन्द्र में बैठी सरकार का विरोध करना जरूरी है लेकिन जब बात मानव जीवन पर आ जाए तो राजनीति न करके ऐसे में अपनी बेहतर सलाह देते हुए सहयोग करना चाहिए।
पूरी दुनिया में मानव जाति पर तांडव मचा रहे कोरोना वायरस ने क्या हाल कर दिया यह सबके समक्ष है। इसके बावजूद राजनीति हो रही है। ऐसी घटनाओं को देखकर क्रोध भी आता है और तरस भी। गुस्से का कारण तो यह है कि जहां इस वायरस से हर रोज इतनी मौतें हो रही हैं उसके लिए अपनी ओर से किसी भी तरह का सहयोग न करना और लोगों को जागरूक करने की बजाय उनको भड़काया जा रहा है। तरस इसलिए आता है कि वो राजनीति की उस हद तक चले जाते हैं जहां उनको यह भी पता चल रहा है कि क्या बयान देने हैं। चूंकि जो लोग भी कोरोना वैक्सीन पर राजनीति कर रहे हैं उनको यह पता नहीं चल रहा है कि उनकी ऐसी बातों को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा और इस वजह से उनके सम्मान पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
देश में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक हो चुकी है। संक्रमण से ठीक होने की मरीजों की दर बढ़कर 96.42 प्रतिशत तक आ चुकी है। इस बात में कोई दो राय नहीं कि केन्द्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर बेहतर काम कर रही हैं। लेकिन जो लोग इस समय देश की मशीनरी का हिस्सा नहीं हैं वो लोग देश में नकारात्मकता फैलाने का काम कर रहे हैं। दुनिया के लगभग हर देश में वैक्सीन के पैसे ले लिये जा रहे हैं या लेने की बात चल रही है। यदि हमारे देश में भी ऐसा होता तो इससे भी ज्यादा राजनीति होती इसलिए प्रधानमंत्री और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इसे देशवासियों को मुफ्त देने के लिए कहा है।
कोरोना वैक्सीन की लॉन्चिंग से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वैक्सीन लगवाने से इनकार कर दिया था। लेकिन अपने बयान को लेकर वे चौतरफा घिरते नजर आए और जब टीकाकरण की शुरुआत हुई तो अखिलेश यादव के स्वर बदल गए। अब वे भी इसका स्वागत कर रहे हैं। इसके अलावा भी कांग्रेस व अन्य कुछ दलों की ओर से विरोध के स्वर उठ रहे हैं जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
बहरहाल, स्पष्ट है कि जनसंख्या के आधार पर हिन्दुस्तान जैसे देश को संभालने का मतलब है कि लगभग पच्चीस देशों को संचालित करना। यहां रंग, जाति, धर्म व वर्ग के आधार पर जिस तरह राजनीति होती है वो सरकारों को हर पल चुनौती देती रहती हैं। इसलिए आप कम से कम सरकार पर इतना भरोसा जरूर रखें कि इतने बड़े मामले पर आपके साथ कुछ गलत नहीं करेगी।
कुछ लोग अशिक्षितों को भड़काने का काम कर रहे हैं। ऐसी-ऐसी बातें कह रहे हैं जिसका सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं। मुसलमानों के कुछ आकाओं ने भी फरमान जारी कर दिए कि कोरोना वैक्सीन के बहाने मोदी सरकार मुसलमानों को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे लोगों की वजह देश में भ्रम फैल रहा है जिसका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर आमजन को नुकसान हो रहा है। इसके अलावा एक वर्ग ऐसा जो सोशल मीडिया पर किसी भी घटना की जांच किए बिना उसको शेयर कर देता है जिससे एक ऐसी चेन बन जाती है कि लोग भ्रमित हो जाते हैं, इसलिए ऐसे लोगों से बचें। जानकारी ही आपका बचाव है। यहां बात केन्द्र में बैठी मोदी सरकार या राज्य में बैठी किसी भी दल की सरकार की नहीं, जो भी देश या राज्य को संचालित करता है उसे सिस्टम को चलाने में हर स्थिति में बेहतर कार्य करना फर्ज होता है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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