नई दिल्ली। भारत सहित दुनियाभर के कई देशों में कोरोना वायरस की काट ढूंढ़ने के लिए वैक्सीन का परीक्षण जारी है। कई कंपनियों ने परीक्षणों में अच्छे नतीजे मिलते देख बड़े पैमाने पर वैक्सीन के उत्पादन की शुरुआत हो गई है। वहीं, बड़े देशों ने अब वैक्सीन की खरीद की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है। भारत ने भी 150 करोड़ से अधिक डोज खरीदने की बात फाइनल कर ली है।
अमेरिकी पत्रिका वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन डोज खरीदने के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। अमेरिका और यूरोपीय यूनियन क्रमशः पहले और दूसरे स्थान पर हैं। यह रिपोर्ट ड्यूक यूनिवर्सिटी के लॉन्च और स्केल स्पीडोमीटर इनिशिएटिव पर आधारित है, जो उन कारकों का अध्ययन करती है जो निम्न-आय वाले देशों में स्वास्थ्य पहल में बाधा डालते हैं। ‘लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर इनिशिएटिव’ के अनुसार, भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद ‘कोविड-19 वैक्सीन एडवांस मार्केट कमिटमेंट्स’ के मामले में तीसरे स्थान पर है।
भारत 1.5 अरब से अधिक डोज खरीदने की पुष्टि कर चुका है, जो कि यूरोपीय यूनियन की 1.2 अरब डोज और अमेरिका की 1 अरब डोज से अधिक है। लेकिन अमेरिका और यूरोपीय यूनियन अपनी संभावित खुराक खरीद के कारण आगे हैं। अमेरिका ने 1.5 अरब से अधिक संभावित डोज खरीद के लिए हस्ताक्षर किए हैं। वहीं, यूरोपीय यूनियन ने 76 करोड़ से अधिक संभावित डोज खरीद के लिए हस्ताक्षर किए हैं।
अमेरिका ने किए 2.6 अरब डोज बुक
अमेरिका 1.5 अरब संभावित डोज खरीद और 1 अरब डोज की बुकिंग के साथ करीब 2.6 अरब डोज के लिए हस्ताक्षर कर चुका है। इससे पता चलता है कि दुनिया का सबसे ताकतवर देश अपनी पूरी आबादी का एक से अधिक बार टीकाकरण कर सकता है।
भारत में टीके प्राथमिकता से लगेंगे
भारत पहले से ही ऐसे लोगों की पहचान करने को प्राथमिकता दे रहा है, जिन्हें पहले टीका लगाएगा जाएगा। वैक्सीन प्रशासन पर गठित ‘राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह’ एक पूरी तरह से प्रभावी वैक्सीन आने के बाद लोगों की अधिकतम संख्या को टीका लगाने के लिए समयबद्ध प्रक्रिया पर काम कर रहा है।
दुनिया में 8 अरब डोज बुक
ड्यूक यूनिवर्सिटी के लॉन्च और स्केल स्पीडोमीटर इनिशिएटिव के शोधकर्ताओं का कहना है कि संख्या बताती है कि कोरोना वैक्सीन की 8 अरब से अधिक डोज की वर्तमान में बुकिंग की जा चुकी है, जबकि वैक्सीन की प्रभावकारिता को लेकर कोई स्पष्ट परिणाम सामने नहीं आया है। अमेरिकी दवा निर्माता फाइजर और इसके जर्मन पाटर्नर बायोएनटेक एसई ने कहा है है कि उनका वैक्सीन टीका 95 फीसदी प्रभावी पाया गया है।
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