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    corona Second wave : कोरोना मरीज हार्ट अटैक के हो रहे शिकार, इन Symptoms को न करें अनदेखा

  • May 13, 2021

    कोरोना वायरस की दूसरी लहर में Covid-19 के कई मरीजों में दिल से जुड़ी बीमारियां देखी जा रही हैं. कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कोरोना से ठीक हो जाने के बाद मरीज को हार्ट अटैक आ जा रहा है. इनमें से कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें पहले से दिल से जुड़ी कोई दिक्कत नहीं रही है लेकिन उन्हे भी हार्ट अटैक हो रहा है. हेल्थ एक्सपर्ट्स से जानते हैं कि आखिर कोरोना के मरीजों को दिल की बीमारी का खतरा क्यों है और किन लक्षणों से जाना जा सकता है कि कोरोना की चपेट में दिल भी आ चुका है.

    डॉक्टर्स का कहना है कि कम से कम 15-20% मरीजों में कोरोना वायरस (Corona virus) दिल पर भी असर डाल रहा है. कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर एक इंटव्यू में बताया कि जिन लोगों को पहले से ही दिल की बीमारी है, जिनके हार्ट में स्टेंट डाला गया है या फिर जिनकी बाईपास सर्जरी हुई है, कोरोना से संक्रमित होने के बाद इन लोगों की दिक्कत ज्यादा बढ़ गई है.

    हालांकि चिंता की बात ये है कि कोरोना के कुछ मरीजों को पहले से दिल से जुड़ी कोई समस्या नहीं रही है, उन्हें भी हार्ट अटैक का सामना करना पड़ रहा है. कुछ मरीजों के सीने में दर्द (Chest pain) की शिकायत होती है और समय पर पता चलने से उनका इलाज हो जाता है. हालांकि कुछ मरीजों में ये हार्ट अटैक इतनी जल्दी और तेज आता है कि उन्हें बचाने का मौका ही नहीं मिलता है. इन मरीजों का हार्ट फंक्शन 10-15% तक चला जाता है, जो बताता है कि इनकी स्थिति गंभीर है.



    युवा हो रहे ज्यादा शिकार-
    डॉक्टर का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर में पहले से दिल की बीमारी वाले बुजुर्गो की तुलना में युवा ज्यादा शिकार हो रहे हैं. कोरोना के युवा मरीजों में पल्मोनरी एडिमा (Pulmonary edema) (फेफड़ों में अचानक सूजन) देखी जा रही है. इसकी वजह से मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होती है.

    दिल की मांसपेशियों में सूजन
    लगभग 70 फीसद लोगों को मायोकार्डिटिस (Myocarditis) (दिल की मांसपेशियों में सूजन) की समस्या हो रही है, जो उनके ठीक होने की संभावना कम कर रही है. डॉक्टर का कहना है कि कोरोना (Corona) की ये लहर पहले से बिल्कुल अलग है. ये बिना दिल की बीमारी वाले 33 साल से कम के लोगों पर भी असर डाल रहा है.

    सही समय पर इलाज जरूरी-
    डॉक्टर का कहना है कि ज्यादातर मामलों में जब तक मरीजों को स्पेशलिटी हॉस्पिटल में भर्ती किया जाता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. जो मरीज समय पर अस्पताल पहुंच जाते हैं और जिन्हें ECMO की सुविधा मिल जाती है, उनके कुछ हफ्तों में ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है. डॉक्टर त्रेहान ने युवाओं को सलाह दी कि इस महामारी के दौरान युवाओं को वही सावधानी अपनानी होगी, जो बुजुर्ग और कमजोर लोगों को अपनानी पड़ती है.

    तनाव बढ़ाता है दिक्कत-
    डॉक्टर का कहना है कि तनाव (Tension) की वजह से कोरोना के मरीजों की दिक्कत ज्यादा बढ़ रही है. तनाव लेने से ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है और इसकी वजह से हृदय गति भी बढ़ जा रही है. ये वायरस से संक्रमित मरीजों (Infected patients) के लिए हानिकारक हो सकती है.



    इन चीजों का करें पालन
    डॉक्टर ने लोगों से तनाव से दूर रहने के लिए तीन चीजों का पालन करने की सलाह दी है. पहला, अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एक्सरसाइज (excercise) जरूर करें, दूसरा, आप संक्रमित हों या ना हों तनाव से दूर रहने वाली तकनीक अपनाएं और तीसरा न्यूट्रिशन (Nutrition) बनाए रखने के लिए कम से कम 30-40 ग्राम प्रोटीन का सेवन हर दिन करें. उन्होंने हर दिन योग और ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने की भी सलाह दी है.

    इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज-
    डॉक्टर का कहना है कि जिन लोगों को पहले से दिल की बीमारी है, उन्हें भारीपन महसूस होने और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. घर पर रहते हुए पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन सेचुरेशन चेक करते रहें. किसी भी तरह की दिक्कत महसूस होने पर कार्डियोलॉजिस्ट से संपर्क करें. इस समय किसी भी स्थिति को हल्के में लेना भारी पड़ सकता है.

    दिल के मरीजों के लिए सुरक्षित है वैक्सीन
    डॉक्टर का कहना है कि दिल के मरीजों के लिए भी वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है. हालांकि जो लोग ब्लड थिनर का इस्तेमाल करते हैं उन्हें वैक्सीन लेने से पहले मेडिकल स्टाफ को इसकी जानकारी देनी चाहिए. मरीज और डॉक्टर के बीच संपर्क हमेशा बना रहना चाहिए.

    अस्पताल की तरफ ना भागें-
    डॉक्टर का कहना है कि हर मरीज को अस्पताल की तरफ भागने की जरूरत नहीं है. इस समय सबसे जरूरी अपनी सेहत पर निगरानी रखना है. समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए तो ज्यादातर मरीज घर पर रहते हुए ही ठीक हो सकते हैं. जब तक आपकी RT-PCR रिपोर्ट नहीं आ जाती आप डॉक्टर से संपर्क कर प्रोटोकॉल के तहत अपना इलाज शुरू कर सकते हैं.

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