कलेक्टरों को भी दिए इंजेक्शन वितरण के अधिकार… रेडक्रॉस में जमा होगी 1568 रुपए प्रति इंजेक्शन की राशि
इंदौर। अभी सरकारी लैब (Government Lab) पर तो अधिक सैम्पलों का दबाव है ही, वहीं शहर की सभी निजी लैब (Private Lab) में भी वेटिंग चल रही है। हालांकि 24 से 48 घंटे के भीतर रिपोर्ट मिल रही है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chauhan) ने निर्देश दिए हैं कि 24 घंटे में रिपोर्ट मिले, जिससे संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी। कोरोना की स्थिति और व्यवस्थाओं को लेकर कल भी मुख्यमंत्री ने लगातार बैठकें की। हालांकि उनके पुत्र कार्तिकेय चौहान भी संक्रमित हो गए, जिसके चलते मुख्यमंत्री को भी सावधानी बरतनी पड़ी।
प्रदेश के 49 जिलों में कोविड केयर सेंटर (Covid Care Center) चालू करने और 450 मैट्रिक टन ऑक्सीजन की मंजूरी मिलने के भी दावे किए गए। गुजरात, भिलाई, राउलकेला से यह ऑक्सीजन मिलेगी। वहीं इंदौर में राधास्वामी सत्संग (Radhaswamy Satsang) व्यास के सहयोग से जो कोविड केयर सेंटर बनाया जा रहा है, उसकी भी जानकारी मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट कर दी और कहा कि 500 बेड के इस सेंटर को जल्द ही दो हजार बेड तक कर दिया जाएगा। वहीं कोरोना महामारी संक्रमण से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई और संक्रमण की चैन को जरूरी बताते हुए जनता कर्फ्यू श्की(Janta Curfew) अपील भी लोगों से की। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि 24 घंटे में रिपोर्ट आए और जब तक रिपोर्ट ना मिले तब तक संबंधित व्यक्ति भी आइसोलेशन में ही रहे। होम आइसोलेशन ( Home Isolation) की भी पूरी जानकारी प्रशासन के पास हो और मरीजों को दवा, चिकित्सा परामर्श के साथ ही आवश्यकता पडऩे पर अस्पताल में ले जाने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की जाए। प्रदेश में 42 हजार इंजेक्शन उपलब्ध करने की जानकारी दी और यह भी कहा कि माइलॉन कम्पनी को 50 हजार इंजेक्शनों का ऑर्डर दे भी दिया है। प्रदेश में फिलहाल 37 हजार 719 बिस्तर है और इनमें से 25516 सरकारी और 16213 निजी अस्पतालों में है। इंदौर में फिलहाल 6776 बिस्तर हैं, जिन्हें बढ़ाकर 13 हजार तक किया जा रहा है। वहीं ऑक्सीजन (Oxygen) कंसन्ट्रेटर भी लगाए जा रहे हैं।
सरकारी अस्पतालों के हाल… एक अनार सौ बीमार
अभी कोरोना काल में ही प्रदेश सरकार ने कोई व्यवस्था नहीं की। यहां तक कि अस्थायी कोविड सेंटरों (Covid Care Center) से लेकर ऑक्सीजन, इंजेक्शन व आवश्यक दवाइयों का बंदोबस्त नहीं किया और पहले से ही बीमार सरकारी अस्पतालों में तो एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति निर्मित हो गई है। स्वास्थ्य विभाग के ही आंकड़े बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल तक 8717 चिकित्सा अधिकारियों और विशेषज्ञों के पद हैं, लेकिन इनमें 4513 खाली पड़े हैं। प्रदेश के 1199 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 264 बिना डॉक्टर, 617 बिना लैब टेक्नीशियन और 397 बिना फार्मासिस्ट के हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। हालत बिगडऩे पर उन्हें जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज लाया जाता है। इसी तरह से कैंसर, न्यूरो सर्जरी, गैस्ट्रो सर्जरी, हार्ट की सर्जरी के लिए मेडिकल कॉलेजों में पर्याप्त चिकित्सक व सुविधाएं नहीं होने की वजह से मरीजों का अभी भी इन बीमारियों के इलाज के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ रहा है।
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