उज्जैन। कोरोना जांच के लिए शासन ने अब 900 रू. में प्रायवेट पैथालाजी जांच केंद्रों के लिए निर्धारित कर दी है। बावजूद इसके कतिपय प्रायवेट पैथालाजी लेब 3 हजार रू. तक ले रही है। कुछ लेब तो मिडिएटर का काम कर रही है। इनके द्वारा सेम्पल लेने के बाद लायसेंसी लेब को सेम्पल भेजे जा रहे हैं। वहां से जांच रिपोर्ट इनके पास आती है और ये कस्टमर को रिपोर्ट देते हैं।
सूत्रों का दावा है कि इस पूरे मामले में प्रोटोकाल की अनदेखी की जा रही है। एक ओर जांच करवाने वालों के नाम,पते आदि की जानकारी पूरी तरह से नहीं मिल पा रही है वहीं दूसरी ओर लोग आगे बढ़कर सूचित कर रहे हैं कि हमे कोरोना हो गया है,हम होम क्वारेंटाईन हैं।
सूत्र बताते हैं कि जो पैथालाजी लेब सेम्पल लेकर मिडिएटर का काम कर रही है,वे प्रशासन को सीधे जानकारी देने से कतराती है। ऐसे मामलों में जांच करनेवाली लायसेंसी पैथालाजी लेब के द्वारा भूलवश यह सोचकर प्रशासन को सूचना नहीं दी जाती है कि जिसके यहां से सेम्पल आया,वह सूचना कर ही देगा। इस गफलत के कारण प्रशासन के पास पर्याप्त जानकारी नहीं पहुंचने के चलते आनेवाले समय में यदि पिक आता है तो गड़बडिय़ां हो सकती है।
इस संबंध में सीएमएचओ डॉ.महावीर खण्डेलवाल का कहना है कि शासन ने अब जांच के लिए 900 रू. प्रायवेट पैथालाजी वालों के लिए निर्धारित कर दिया है। यदि कोई लेब अधिक राशि मांगे तो लिखित में शिकायत करे, लायसेंस निलंबित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि कतिपय लेब जिन्हे लायसेंस प्राप्त नहीं है, रूपयों के लालच में मीडियेटरशीप कर रही है और सेम्पल लेकर लायसेंसी सेंटर्स पर भेज रही है। इनके द्वारा अनेक बार सूचना भी नहीं दी जाती है। ऐसे मामलों में शीघ्र कार्रवाई की जाएगी।
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