डॉक्टर समझाते नहीं… मरीज समझ नहीं पाते…हैवी एंटीबायोटिक एवं स्ट्रोराइड के डोज के चलते शुगर के मरीज पहुंच रहे हैं मौत के खतरे तक
मरीज हो रहे हंै मिकोरमाइरोसिस जैसी गंभीर बीमारी और मौत के शिकार
नई दिल्ली। कोरोना (Corona) से ठीक होकर परिजनों के लौटने पर बेफिक्र हुए घरों में मौत का मातम मच रहा है। न मरीज समझ पा रहे हैं न परिजन कि उन्हें कोरोना (Corona) के दौरान दी गई दवाएं ही मौत का कारण बन रही हैं और इस मौत की वजह डॉक्टरों से लेकर मरीजों और परिजनों तक की लापरवाही है।
दरअसल कोरोना (Corona) के इलाज के चलते छोटे से लेकर बड़े अस्पतालों में स्ट्रोराइड (Steroids) के तगड़े डोज दिए जाते हैं, जिसके कारण डायबिटीक (Diabetes) मरीजों की शुगर 500 से 1000 तक पहुंच जाती है। अस्पताल (Hospital) में तो यह शुगर इंसुलिन (Sugar Insulinसे मैनेज की जाती है, लेकिन घर पहुंचने के बाद भी इन दवाइयों का डोज डाक्टर जारी रखते हैं, पर मरीजों को बढ़ती शुगर की चेतावनी देना भूल जाते हैं और ऐसे में शुगर लेबल इस हद तक पहुंच जाता है कि शरीर में खून के थक्के जमा होना शुरू हो जाते हैं, जिसे डीप ब्रेन थ्रोम्बोसिस कहा जाता है। यह खून के थक्के सीधे हार्ट में पहुंचते हैं जो आर्टरीज, यानी दिल की नसों को ब्लाक कर देते हैं। इसके अलावा लंग्स के कमजोर होने के कारण भी रक्त कोशिकाओं से दिल को रक्त की पूर्ति नहीं हो पाती और हार्ट अटैक का कारण बन जाती है। देशभर के साथ ही इंदौर शहर में भी कोरोना (Corona) से घर लौटे मरीज इन्हीं कारणों से मौत का शिकार हो रहे हैं।
कोरना (Corona) से ठीक हुए शुगर की मरीजों को एक और गंभीर मिकोरमाइरोसिस (Mikorhaemrosis) नामक बीमारी का शिकार हो रहे हैं। नाक और आंख के जरिए होने वाली इस बीमारी के कारण कई मरीजों की मौतें तो कई की आंखें तक निकालना पड़ रही है ।
कोरोना (Corona) से ठीक होकर लौटे लोगों को डाक्टर यह समझा नहीं पा रहे हैं कि उन्हें अपनी शुगर (Sugar) लेबल का ध्यान रखना है। ठीक होकर मरीज दवाओं के साथ ही बड़ी तादाद में शुगर (Sugar) बढ़ाने वाले पदार्थ खाते हैें जिससे मरीज या तो अंधा हो जाता है या फिर मौत का शिकार हो जाता है।
गुजरात मेइसी बीमारी से 10 मरे 20 अंधे हुए
गुजरात में इसी बीमारी के 500 लोग शिकार हुए जिनमें से 10 की मौत हो गई और 20 अंधे हो गए इनमें से सूरत के ही 8 लोगों को आंखें गंवाना पड़ी।
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