इन्दौर। एक तरफ कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ रही है, दूसरी तरफ निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों-परिजनों को परेशान करने की खबरें भी लगातार मिल रही है, जिसके चलते कलेक्टर मनीष सिंह ने सभी अस्पताल संचालकों की बैठक बुलाई और उन्हें दो टूक चेतावनी दी कि अगर मरीजों को परेशान किया गया तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। अभी निजी और अनुबंधित अस्पतालों के अलावा 28 और निजी अस्पतालों में भी कोरोना के मरीजों के इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने अस्पताल प्रबंधकों को निर्देश दिये कि उनके अस्पतालों में मरीज के आने के साथ ही उपचार शुरु कर दिया जाए। उपचार निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत किया जाए। यह ध्यान रखा जाये की कोई भी मरीज इधर-उधर नहीं भटके। मरीजों को डिस्चार्ज पॉलिसी के तहत ही डिस्चार्ज करें। अस्पताल में भर्ती मरीजों की पेरेन्टल केयर सुनिश्चित करें। ऐसी व्यवस्था हो जिससे की अस्पताल में उन्हें परिवार की तरह ही देखभाल मिले, अकेलापन उन्हें महसूस नहीं हो, जिससे की उनका आत्मविश्वास बना रहे। काउंसिलिंग भी नियमित की जाये। कलेक्टर मनीष सिंह ने निर्देश दिये कि भर्ती मरीजों के परिजनों से संवाद के लिये सभी अस्पतालों में व्यवस्था की जाये। अपने यहां एक-एक चिकित्सकों की ड्यूटी लगाये यह चिकित्सक मरीजों के परिजनों से नियमित संपर्क में रहे और उन्हें समय-समय पर मरीजों के संबंध में आवश्यक जानकारी देते रहें।
परिवार ने साथ छोड़ा… अस्पताल स्टाफ ने अपनाया
एक तरफ मरीजों की परेशानियों की खबरें हैं तो दूसरी तरफ सेवा के उदाहरण भी सामने आ रहे हैं। एमआरटीबी हॉस्पिटल में 75 साल की बुजुर्ग महिला विजिया का साथ परिवार के सदस्यों ने छोड़ दिया, लेकिन अस्पताल स्टाफ लगातार उनकी सेवा व इलाज में जुटा है। परदेशीपुरा में रहने वाली यह महिला 30 जुलाई से भर्ती है। कोरोना के अलावा अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त है और खुद अपना काम करने में असमर्थ भी। लिहाजा चिकित्सक और अन्य स्टाफ महिला को दूध पिलाने से लेकर समय पर खाना-दवाई दे रहे हैं। अस्पताल के प्रभारी डॉ. सलील भार्गव ने बताया कि डॉ. दीपक बंसल और उनकी टीम लगातार इस तरह की सेवा में जुटी हुई है।
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