नई दिल्ली। पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन(Vaccination) का काम जोरों पर किया जा रहा है. वैक्सीन (Vaccine) के प्रभाव को समझने के लिए वैज्ञानिकों की रिसर्च भी जारी (Research of scientists is also going on) है. UK द्वारा जारी एक नए डेटा में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (Oxford-astraZeneca vaccine) को 90 फीसद तक कारगर बताया गया है.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड Public health england (PHE) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, एस्ट्राजेनेका (astraZeneca) की Covid-19 वैक्सीन की दो डोज कोरोना के लक्षण वाली बीमारी से 85 से 90% तक सुरक्षा देती है. भारत में ये वैक्सीन लोगों को कोविशील्ड के नाम से दी जा रही है जिसका उत्पादन सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) कर रहा है.
आंकड़ों के अनुसार, इस वैक्सीन को लगाने के बाद 9 मई तक 60 और उससे अधिक उम्र के लोगों में 13,000 मौतें होने से रुकी हैं. इसमें यह भी कहा गया है कि वैक्सीनेशन के बाद 65 से अधिक के उम्र के लगभग 40,000 लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी है.
UK के स्वास्थ्य सचिव मैट हैंकॉक ने एक बयान में कहा, ‘यह नया डेटा दिखाता है कि वैक्सीन जिंदगी बचाती है और संक्रमण होने के बाद अस्पताल जाने की संभावना कम करती है. नए वेरिएंट के खतरे में वैक्सीन लगवाना और भी जरूरी हो जाता है.’ UK में लगभग एक तिहाई आबादी को वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा चुकी है. यहां अब ज्यादा से ज्यादा लोगों को पहली डोज देने की कोशिश की जा रही है. यहां वैक्सीन के दो डोज के बीच का समय 12 सप्ताह तक बढ़ाया गया है. इससे पहले PHE ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन की एक डोज के प्रभाव पर भी डेटा जारी किया था जिसमें कहा गया था कि वैक्सीन की पहली डोज मौत का खतरा 80 प्रतिशत तक कम कर देती है. हालांकि, वैक्सीन से ब्लड क्लॉटिंग के कई मामले सामने आने के बाद ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन सवालों के घेरे में भी आ चुकी है. इस साइड इफेक्ट को देखते हुए ही हेल्थ ऑथोरिटीज ने वहां 40 साल से कम उम्र के लोगों को एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन न देने की सिफारिश भी की थी. वैक्सीन के प्रभाव पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) भी अपनी राय जाहिर कर चुका है. ICMR के वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत में बनी दोनों वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स बनाती हैं. हालांकि, नए स्ट्रेन B.1.617 के खिलाफ ये कुछ कम एंटीबॉडी बनाती हैं. वैज्ञानिकों ने COVID-19 से बचाव का एकमात्र हथियार वैक्सीन ही माना है.