उज्जैन। बीते 2 सालों में कोरोना महामारी जमकर फैली थी और इस दौरान कई लोगों की मौत हुई। ऐसे में जिले के 34 ऐसे बच्चे हैं जिनके इस महामारी में माता-पिता दोनों चले गए, ऐसे बच्चों को शासन द्वारा पेंशन दी जा रही है।
कोरोना महामारी की पहली और दूसरी लहर में सैकड़ों लोग काल के ग्रास बने। इस दौरान माता और पिता भी कई परिवारों में एक साथ चले गए जिससे पूरा परिवार अनाथ हो गया है। ऐसे परिवारों को महिला बाल विकास विभाग ने चिन्हित किया। कुल मिलाकर 34 परिवार पूरे जिले में ऐसे हैं जहाँ बच्चों के सिर पर से कोरोना के कारण मां और बाप दोनों का साया उठ गया है। वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में कोरोना की लहर आई थी और इन दोनों लहर में बच्चों के सिर से मां-बाप का साया भी उठ गया, ऐसे में सरकार ने घोषणा की थी कि जिन बच्चों के माता-पिता दोनों चले गए उन्हें प्रति माह 5000 रुपए पेंशन और उनकी स्नातक की तक की शिक्षा मुफ्त और उन्हें वयस्क होने तक अनाज भी पात्रता पर्ची के माध्यम से मुफ्त मिलेगा। महिला बाल विकास के अधिकारी शादाब अहमद सिद्दीकी ने बताया सभी 34 बच्चों के कागजात कुछ दिनों पूर्व ही भोपाल भेज दिए थे और सभी के खातों में 5000 की राशि में शासन ने डाल दी है और उन्हें पात्रता पर्ची तथा मुफ्त शिक्षा के प्रमाण पत्र भी दे दिए हैं।
जिन परिवारों में पिता नहीं रहे उनको भी दो 2000 की आर्थिक सहायता कोर्ट ने दी
कोरोना के कारण जिन परिवारों में पिता नहीं रहे उनके परिवारों को भी आर्थिक सहायता देने का काम चल रहा है। कोर्ट ने ऐसे परिवारों को ढाई लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी, जो सबको बराबर बाँटनी थी, ऐसे करीब 120 बच्चों के डेटा तैयार हुए थे। इनमें से 100 बच्चों को यह राशि 2000 के मान से अलग-अलग खातों में डाल दी गई है और 20 अन्य बच्चों के भी कागजात तैयार किए जा रहे हैं, इन्हें भी यह राशि जब कोर्ट से आएगी तब मिल पाएगी। शासन ने यह तय किया है कि जहाँ माता या पिता में से किसी एक की मृत्यु हुई है उस परिवार को जल्दी आर्थिक सहायता दी जाए, ताकि परिवार सुचारू रूप से चल सके।
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