– रमेश सर्राफ धमोरा
कोरोना महामारी का संक्रमण हर दिन डरावना आकार ले रहा है। पूरी दुनिया इससे त्रस्त है। दुनिया के बहुत सारे देश कोरोना पर नियंत्रण के लिए वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। जिसमें भारत की भी तीन बड़ी कंपनियां शामिल है लेकिन सफलता किसी भी देश को नहीं मिली है। पूरी दुनिया में अबतक करीबन 2 करोड़ 35 लाख लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। जिनमें से एक करोड़ 59 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं करीबन 8 लाख 10 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
भारत में भी कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। अबतक करीबन 31 लाख 10 हजार लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। उनमें से 23 लाख 39 हजार लोग स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि 58 हजार 29 लोगों की मौत हो चुकी है। वर्तमान में भारत में कोरोना के 7 लाख 10 हजार 345 सक्रिय केस हैं। हालांकि भारत में कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की रिकवरी रेट 75.26 प्रतिशत है। यह अच्छी बात मानी जा सकती है।
भारत में महाराष्ट्र कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित राज्य है। यहां अबतक कुल 6 लाख 82 हजार 383 कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। जिनमें से 4 लाख 88 हजार 271 केस ठीक हो चुके हैं। वहीं 22 हजार 568 लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। तमिलनाडु में करीबन 3 लाख 80 हजार कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं। यहां 6 हजार 517 लोगों की मौत हो चुकी है। कर्नाटक में दो लाख 78 हजार कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं। यहां 4 हजार 700 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली में एक लाख 61 हजार 466 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। यहां 4 हजार 300 लोगों की मौत हो चुकी है। आंध्र प्रदेश में 3 लाख 53 हजार 111 कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। यहां 3 हजार 282 लोगों की कोरोना से जान जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में एक लाख 27 हजार 781 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। यहां 2 हजार 926 लोगों की मौत हो चुकी है। गुजरात में 86 हजार 624 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। उनमें से 2 हजार 895 लोगों की मौत हो चुकी है। पश्चिम बंगाल में एक लाख 38 हजार 870 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। उनमें से 2 हजार 794 लोगों की मौत हो चुकी है। पंजाब में 41 हजार 779 कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। जिनमें से एक हजार 86 लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्थान में 70 हजार 609 कोरोना केसों में से 955 लोगों की मौत हो चुकी है। इस तरह हम देखें तो महाराष्ट्र में सबसे अधिक लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है। वहीं देश का मिजोरम एकमात्र ऐसा प्रदेश है जहां पर कोरोना से अभीतक एक भी मौत नहीं हुई है।
मार्च महीने में जब कोरोना ने भारत में दस्तक दी थी तब देश में एकमात्र पुणे में जैविक लेबोरेटरी थी। जहां प्रतिदिन 300 नमूनों की जांच की जा सकती थी। कोरोना के भारत में आगमन के साथ ही केंद्र सरकार ने इसपर नियंत्रण के प्रभावी उपाय करने शुरू कर दिए। देश में तेजी से कोरोना जांच केंद्रों की संख्या बढ़ाई गई। जिसके चलते आज देश में कुल 1520 कोरोना जांच लेबोरेटरी काम कर रही है। जिनमें से 984 सरकारी और 536 निजी क्षेत्र में है। भारत में वर्तमान में प्रतिदिन कोरोना के 10 लाख नमूनों की जांच करने की क्षमता हो गई है। इसके साथ ही मार्च महीने में भारत को कोरोना की जांच किट, एन-95 मास्क, पीपीई किट, वेंटिलेटर इन सबका विदेशों से आयात करना पड़ता था। मात्र 5 महीने में भारत ने इनके स्वदेशी उत्पादन को तेजी से बढ़ाया और आज हम इन सब वस्तुओं का बड़ी मात्रा में निर्यात कर रहे हैं। भारत में अबतक तीन करोड़ 59 लाख 2 हजार 137 लोगों की कोरोना जांच हो चुकी है।
अभी देश में अनलॉक 3.0 चल रहा है। इसमें सरकार ने बहुत-सी गतिविधियों पर से पाबंदी हटा दी है। इस कारण बड़ी संख्या में लोग घरों से बाहर निकलने लगे हैं। जिससे कई स्थानों पर भीड़ एकत्रित होने लगी है। हालांकि सरकार लगातार कहती आ रही है कि 2 मीटर की शारीरिक दूरी रखो व घर से बाहर निकलते समय हर वक्त मास्क लगाए रखो। मगर वास्तविकता में देखा जाए तो इन नियमों की सरेआम अवहेलना हो रही है। घरों से बाहर निकलने वाले लोग न तो मास्क लगाते हैं और न शारीरिक दूरी रखने का ख्याल रख रहे हैं।
सरकार व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े हुए लोगों यथा दुकानदार, रेहड़ी, ठेले वाले, चाय की दुकान वाले, थड़ी वाले, बसों के कंडेक्टर व ऐसे अन्य लोगों की कोरोना जांच करवा रही है जो दिन में काफी संख्या में लोगों के संपर्क में आते हैं। ऐसे लोगों के संपर्क में आने से समुदाय के संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। इनकी जांच में बड़ी संख्या में सुपर स्प्रेडर कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं। जब कोई दुकानदार या अन्य व्यवसाय से जुड़ा सुपर स्प्रेडर कोरोना पॉजिटिव केस मिलता है तो बड़ी संख्या में उसके संपर्क में आने वाले लोगों की जांच की जाती है। इससे आम लोगों को भय व्याप्त होता है। डर के चलते व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े लोग अपनी कोरोना की जांच करवाने से कतरा रहे हैं। इससे कोरोना संक्रमण के फैलाव का खतरा अधिक बढ़ रहा है।
चूंकि सरकार ने बहुत सारी व्यवसायिक गतिविधियों को फिर से प्रारंभ तो करवा दिया मगर निर्धारित मापदंडों का पालन करवाने में शिथिलता देखी जा रही है। इसी के चलते कोरोना के पॉजिटिव केसों में अचानक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सरकारी स्तर पर कोरोना को पहले जितना गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। देखा जा रहा है कि जिलों में प्रशासनिक स्तर पर कोरोना रोकथाम की दिशा में पहले की तरह चुस्ती नहीं है। सरकारी स्तर पर छूट मिलने के कारण लोग घरों से निकलने लग गए हैं मगर घर लौटते समय हर वक्त इस बात से आशंकित रहते हैं कि बाहर से कोरोना पॉजिटिव होकर तो घर नहीं आ रहे हैं। यदि वह कोरोना संक्रमित हो गया तो पूरे घर वालों को परेशानी उठानी पड़ेगी। सरकार ने बाहर से आनेवाले लोगों को भी आने-जाने की पूरी छूट दे दी है। इस कारण बड़ी संख्या में लोग एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में आवागमन कर रहे हैं। इससे भी कोरोना का संक्रमण बढ़ा है। अब दूसरे प्रांतों से आने वाले लोग बिना कोरोना जांच करवाये ही लोगों से घुलमिल रहे हैं।
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि अभी ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध बरकरार रखे जिनसे बड़ी संख्या में लोगों के एकत्रित होने की संभावना बनी रहती है। सरकार वैवाहिक आयोजन, धार्मिक आयोजन, सभा, जुलूस आदि पर रोक पूर्ववत जारी रखे। स्थिति सामान्य होने तक सभी शैक्षणिक संस्थाओं को भी बंद रखना चाहिये क्योंकि इन सब संस्थानों में काफी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। जिससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। सरकार को चाहिए कि लोगों के मन से कोरोना का डर निकाले। कोरोना के उपचार व जांच की व्यवस्था को और अधिक बेहतर बनाया जाये जिससे लोगों को डर के साए में नहीं जीना पड़े।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved