डेस्क: कोरोना जैसी महामारी का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है. हालांकि इस बार वजह है येलो फीवर. कोलंबिया की सरकार ने देशभर में हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दी है. ग्रामीण इलाकों में येलो फीवर के बढ़ते मामलों और मौतों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. कोलंबिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, सितंबर 2024 से अब तक 75 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें 34 लोगों की जान जा चुकी है.
कोलंबिया के कुल 32 में से 9 डिपार्टमेंट्स में येलो फीवर के मामले सामने आए हैं. सबसे ज्यादा असर टोलिमा, मेटा, अमेजन बेसिन और मागदालेना नदी क्षेत्र में देखा गया है. चौंकाने वाली बात यह है कि अब वायरस उन क्षेत्रों तक भी पहुंच चुका है, जहां पहले कभी येलो फीवर दर्ज नहीं किया गया था. इनमें प्रसिद्ध कॉफी प्रोडक्शन वाला कालदास क्षेत्र भी शामिल है.
येलो फीवर मच्छरों के जरिए फैलता है और शुरुआत में इसके लक्षण बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, भूख कम लगना और उल्टी जैसे होते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में मरीज बीमारी के दूसरे चरण में पहुंच जाते हैं. इसमें पीलिया और पेट दर्द जैसी गंभीर समस्याएं होती हैं. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ऐसे मामलों में 50% मरीजों की सात से दस दिन के भीतर मौत हो जाती है.
कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने घोषणा की है कि दो महीनों के भीतर पूरे देश की आबादी को येलो फीवर का टीका लगाया जाएगा. यह एक सिंगल डोज वैक्सीन है, जो नौ महीने से अधिक उम्र के सभी लोगों को मुफ्त में दी जाएगी. सरकार ने अब तक 20 से ज्यादा मेडिकल इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीमें तैनात की हैं, जो गांव-गांव जाकर लोगों की जांच और टीकाकरण करेंगी.
हालांकि विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर इस संकट से निपटने में देर करने का आरोप लगाया है. डेमोक्रेटिक सेंटर पार्टी की सीनेटर पालोमा वेलेंसिया ने कहा कि यह अस्वीकार्य है कि जब संकट छह महीने पहले शुरू हुआ था, तब सरकार ने समय पर कदम नहीं उठाए. सोमवार को राष्ट्रपति पेट्रो एक टेलीविजन कैबिनेट मीटिंग में हालात की समीक्षा करेंगे और बीमारी से निपटने के नए कदमों की घोषणा करेंगे.
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