टोक्यो । टोक्यो (Tokyo) को साढ़े सात साल पहले जब ओलंपिक खेलों की मेजबानी (Tokyo Olympic Games host) सौंपी गई थी तब उसने स्वयं को सुरक्षित स्थल के रूप में पेश किया था, जबकि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति International Olympic Committee (IOC) के तत्कालीन उपाध्यक्ष क्रेग रीडी (Craig Reidy) ने ब्यूनस आयर्स (Buenos Aires) में 2013 में वोटिंग के बाद कहा था कि निश्चितता अहम मुद्दा होगी।
पिछले साल स्थगित किए गए टोक्यो ओलंपिक Olympics खेलों के आयोजन के लिए बुधवार को जब 100 दिन की उल्टी गिनती शुरू हुई तो कुछ भी निश्चित नहीं है। कोविड-19 के बढ़ते मामलों, असंख्य घोटालों और जापान में खेलों के आयोजन को लेकर जनता के विरोध के बावजूद आयोजक और आइओसी खेलों के आयोजन पर जोर दे रहे हैं।
टोक्यो में 1964 में हुए ओलंपिक खेलों के जरिये जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में हार से तेजी से उबरने का जश्न मनाया था, लेकिन इस बार खेलों के आयोजन को लेकर कई अलग नियम और पाबंदियां होंगी। बेशक खिलाडि़यों का लक्ष्य पदक जीतना होगा, लेकिन कुछ और लोग सिर्फ इतना चाहेंगे कि बिना किसी समस्या के खेलों का आयोजन हो, इन खेलों के जरिये कोविड-19 संक्रमण ना फैले और राष्ट्रीय गौरव बना रहे।
गौरतलब है कि जापान सहित दुनियाभर में कोरोना का खतरा एक बार फिर बढ़ता जा रहा है जिसके मद्देनजर अब यह असमंजस एक बार फिर बढ़ता जा रहा है कि ओलंपिक 2020 का आयोजन होगा या नहीं। इसके साथ ही ओलंपिक में पहली बार विदेशी दर्शकों के आने पर भी रोक लगा दी गई है। खिलाडि़यों को ओलंपिक विलेज में ही रहना होगा और समय-समय पर कोरोना टेस्ट करवाने होंगे। क्योटो की दोशिशा यूनिवíसटी में राजनीतिक विज्ञान पढ़ाने वाले डॉ. गिल स्टील ने कहा, ‘यह सरकार काफी सचेत है कि पूरी दुनिया जापान को कैसे देखती है। ओलंपिक को रद करने को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक विफलता के रूप में देखा जा सकता है।’ ओलंपिक 23 जुलाई से शुरू होंगे।
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