इंदौर। कोरोना की तीसरी लहर जिस तरह से घातक साबित नहीं हुई और ओमिक्रॉन वैरिएंट ने अधिक से अधिक लोगों को संक्रमित भी किया, जो एक तरह से कोरोना से लडऩे वाली हर्ड इम्युनिटी के लिए कारगर साबित हुआ। अभी थोड़े मरीजों की संख्या बढऩे पर स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग यानी सैम्पलिंग बढ़ाने का निर्णय लिया। दूसरी तरफ कई विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना चूंकि अब स्थानीय बीमारी के रूप में मौजूद रहेगी, लिहाजा फिजूल की टेस्टिंग, सैम्पलिंग की भी आवश्यकता नहीं है।
बीते कुछ दिनों में 15 से 20 कोरोना मरीज इंदौर में मिलने लगे हैं।
कल रात को भी जारी मेडिकल बुलेटिन में 19 नए मरीज मिले और कुल उपचाररत मरीजों की संख्या 122 हो गई है। मगर ये सब मरीज ए सिम्प्टोमैटिक यानी सामान्य सर्दी, जुखाम, बुखार के ही हैं, जो घर पर ही ठीक हो रहे हैं। अभी लगातार 200-250 सैम्पल ही लिए जा रहे हैं और कुछ मरीज बढऩे पर सैम्पलों की संख्या बढ़ाकर 1000-2000 तक करने की बात स्वास्थ्य विभाग ने कही है।
दूसरी तरफ कई विशेषज्ञों-डॉक्टरों का मानना है कि अब कोरोना पैंडेमिक यानी महामारी की बजाय एंडेमिक यानी स्थानीय बीमारी की तरह हो गया है। लिहाजा अधिक घबराने की आवश्यकता नहीं है। जिस तरह फ्लू, मलेरिया वायरल या अन्य बीमारी होती है, उसी तरह कोरोना भी कुछ समय तक चलता रहेगा। लिहाजा फिजूल टेस्टिंग की आवश्यकता भी नहीं है। कल भी 249 सैम्पलों की जांच में 19 पॉजिटिव यानी कोरोना मरीज निकले।
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