बीजिंग । चीन ने अपने प्रथम मंगल अभियान के तहत एक ‘रोवर’ भेजने के लिए कोविड-19 महामारी के बीच अपनी तैयारी जारी रखी है और इसके लिए ‘लॉंग मार्च-5 रॉकेट’ को प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया है। ‘तियानवेन-1’ नाम से चीन का यह मंगल अभियान ‘लाल ग्रह’ (मंगल) के लिए आगामी तीन अभियानों में एक है, जिनमें एक अमेरिका का और एक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का मिशन है।
बतादें कि लॉंग मार्च-5 रॉकेट चीन का सर्वाधिक भार वाहक प्रक्षेपण यान है और इसका तीन बार प्रयोग किया जा चुका है, लेकिन इसपर कभी पैलोड नहीं था। चीन का प्रथम मंगल अभियान बताए जा रहे ‘तियानवेन-1’ का उद्देश्य वैज्ञानिक आंकड़े जुटाने के लिए लाल ग्रह पर एक रोवर उतारना है।
चीनी राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के हवाले से सरकारी मीडिया द्वारा जारी खबरों के मुताबिक रॉकेट जुलाई या अगस्त के अंत में हैनान प्रांत के दक्षिणी द्वीप में स्थित वेंचांग अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से प्रक्षेपित किया जाने वाला है। चीन के इस अभियान को उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम में सर्वाधिक महत्वाकांक्षी माना जा रहा है।
कोरोना वायरस महामारी फैलने के बावजूद इस अभियान की तैयारियां जोरों पर है, जबकि यूरोप और रूस ने मंगल पर इस साल की गर्मियों में रोवर भेजने की अपनी योजनाएं स्थगित कर दी हैं। अमेरिका कार से भी बड़े आकार का रोवर भेज रहा है, जिसका नाम ‘परजरवेंस’ है। यह वहां के चट्टानों के नमूने एकत्र कर विश्लेषण के लिए करीब एक दशक में धरती पर लएगा। इसका प्रक्षेपण 30 जुलाई से 15 अगस्त के बीच होने का कार्यक्रम है।
इसी प्रकार से संयुक्त अरब अमीरात का अमाल या ‘होप’ नाम का अंतरिक्ष यान एक आर्बिटर है जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ कोलेरैडो बोल्डर की साझेदारी से बनाया गया है और इसे सोमवार को जापान से प्रक्षेपित किए जाने का कार्यक्रम है। यह अरब जगत का पहला अंतर ग्रहीय अभियान होगा। मंगल ग्रह के लिए चीन ने अंतिम प्रयास रूस के सहयोग से किया था, जो 2011 में नाकाम रहा था। इस सब के बीच बड़ी बात यही है कि दुनिया के देश इस वक्त कोरोना वायरस से परेशान हैं दूसरी तरफ चीन के बुहान शहर से विश्वभर में फैलने के बाद भी चीन इस महामारी से मुक्त रहते हुए अपने मंगल मिशन को अंजाम देने में लगा हुआ है।
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