वैश्विक महामारी कोरोना ने आज पूरी दुनिया में हिला कर रख यिा है। सबसे बड़ी बात यह है कि अभी किसी भी देश में पूरी तरह इसके लियंत्रण जैसी दवा बनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया पाया, हालांकि कई देश अपनी-अपनी कोरोना वेक्सीन बनाने का दावा तो कर रहे हैं।
आज कई देशों के अस्पताल में भर्ती रहे कोरोना संक्रमण के गंभीर मरीज अब मानसिक अस्थिरता से जूझने लगे हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित कुछ मरीजों में हाल के समय में सर दर्द, आशंकित रहना और भ्रम में रहने जैसे अनुभव सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से इंसान के दिमाग पर असर पड़ सकता है। हाल में ही प्रकाशित एक स्टडी में यह जानकारी दी गयी है।
यह अध्ययन शिकागो के नॉर्थ-वेस्टर्न विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा पता लगा कि 40 प्रतिशत गंभीर मरीजों के मस्तिष्क पर वायरस इतना गहरा असर कर रहा है कि वे मानसिक भ्रम से लेकर कोमा तक के खतरों जूझ रहे हैं।
कई वैज्ञानिक अध्ययनों से यह सिद्ध हो चुका है कि कोविड-19 का वायरस सिर्फ श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी नहीं है बल्कि यह शरीर के सबसे महत्वपूर्ण हिस्से यानी मस्तिष्क समेत कई महत्वपूर्ण अंगों को क्षति पहुंचाता है। इसी क्रम में ताजा अध्ययन बताता है कि अस्पताल में भर्ती रहे एक-तिहाई संक्रमित मरीजों के मस्तिष्क में एन्सेफैलोपैथी बीमारी विकसित हो जाती है। इस रोग में मस्तिष्क के उस हिस्से का पतन होने लगता है जिसके जरिए इंसान सोचता और शरीर को काम करने का निर्देश देता है।
अगर न्यूरोलॉजिकल लक्षणों को देखा जाए तो करीब 45 प्रतिशत मरीजों में मांसपेशियों में दर्द, 38 प्रतिशत मरीजों में सिरदर्द, करीब 30 प्रतिशत मरीजों में चक्कर आने की शिकायत देखी गईं। जबकि, स्वाद या सूंघने की परेशानियों से जूझ रहे मरीजों की संख्या कम थी।
बदली हुई मानसिक स्थिति केवल न्यूरोलॉजिकल परेशानी नहीं है। कुल मिलाकर 82 प्रतिशत भर्ती मरीजों में बीमारी के दौरान किसी न किसी मौके पर न्यूरोलॉजिकल लक्षण नजर आए थे। यह दर चीन और स्पेन में ज्यादा है।
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