न्यूयॉर्क। अमेरिका (America) पर कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की ऐसी मार पड़ी है कि वहां जीवन प्रत्याशा (Life expectancy decreased) ऐतिहासिक रूप से घट गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, पिछले साल इसमें डेढ़ साल की कमी आई है, जो दूसरे विश्व युद्ध (second world war) के बाद सबसे बड़ी गिरावट है।
आंकड़ों के मुताबिक, श्वेतों के मुकाबले अन्य अमेरिकी ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अश्वेत अमेरिकियों की जीवन प्रत्याशा 2.9 साल तो हिस्पैनिकों की तीन साल घट गई है। वहीं, श्वेत अमेरिकियों की जीवन प्रत्याशा 1.2 साल गिरी है।
बुधवार को अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया कि जीवन प्रत्याशा में 74 फीसदी गिरावट की वजह अकेले कोरोना संक्रमण ही है। बीते साल अमेरिका में 33 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, जो देश के इतिहास में किसी एक साल में सबसे बड़ा आंकड़ा है। इनमें से 11 फीसदी मौतें कोरोना के चलते हुईं।
अधिकारियों के मुताबिक, अश्वेत अमेरिकियों की जीवन प्रत्याशा 1930 में आई महामंदी के बाद से किसी एक साल में इतने बड़े पैमाने पर कभी नहीं गिरी। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के प्रोफेसर मार्क हेवार्ड ने जीवन प्रत्याशा में इस गिरावट को भयंकर करार दिया है। जानकारों का कहना है कि कोरोना के अलावा कुछ अन्य वजहों के चलते भी जीवन प्रत्याशा कम हुई है। सीडीसी रिपोर्ट की प्रमुख लेखिका एलिजाबेथ एरियास (Elizabeth Arias, lead author of the CDC report) के मुताबिक, कोरोना के अलावा दवाओं के ओवरडोज के चलते भी श्वेतों में जीवन प्रत्याशा में कमी आई है। वहीं, मानव हत्याएं अश्वेत लोगों की जीवन प्रत्याशा में कमी का अहम कारण रहा है। विशेषज्ञों का कहना है, महामारी के दौरान स्वास्थ्य तंत्र की सीमित पहुंच, भीड़भाड़ वाले इलाकों में रहना और कम भुगतान वाली नौकरियों की अश्वेतों-हिस्पैनिकों पर ज्यादा मार पड़ी है। जीवन प्रत्याशा संबंधित वर्ष के आधार पर व्यक्ति के जीवित रहने की औसत आयु का अनुमान है। एक साल में मृत्यु दर के आधार पर संबंधित देश के स्वास्थ्य और समृद्धि का पैमाना है। इसमें गिरावट वहां के समाज की समस्याओं को उजागर करती है।