पहले किसी घर में मरीज निकले तो होता था आश्चर्य… अब जिस घर में कोई बीमार नहीं हुआ तो अचरज…
इंदौर। आंकड़ों की बाजीगरी करते प्रशासन (administration) के अधिकृत आंकड़ों में भले ही इंदौर में डेढ़ लाख के करीब कोरोना मरीजों ( corona patients) की संख्या दर्ज हुई हो, लेकिन हकीकत यह है कि 40 लाख की आबादी के इंदौर शहर के घर-घर में कोरोना (Corona) दस्तक दे चुका है। संक्रमित हो चुके लगभग आधे शहर में कई घर महामारी (epidemic) की चपेट में आ चुके हैं। पहले किसी घर से मरीज निकले तो आश्चर्य होता था, लेकिन अब यदि कोई घर बचा है तो जानकर आश्चर्य होता है। कोरोना (Corona) का यह संक्रमण भारी तीव्रता लेकर आया, जिसके कारण कई लोग गंभीर स्थिति में पहुंचे तो कई मौत का शिकार हो गए, लेकिन ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है, जिन्हें कोई बड़ा लक्षण नजर नहीं आया। इनमेें वो लोग शामिल रहे, जिन्होंने वैक्सीन लगवा ली थी।
एक सर्वेक्षण ( survey) के अनुसार इंदौर शहर की एक बड़ी आबादी इस बार कोरोना (Corona) संक्रमण का शिकार हुई। सरकारी आंकड़ा उन लोगों को कोरोना का शिकार मानने के लिए तैयार नहीं है, जिन्होंने घर पर अपना इलाज कराया या जो बिना लक्षण के ठीक हो गए। इसके अलावा प्रशासन द्वारा बनाए गए कोविड केयर सेंटर में जहां हजारों मरीजों का इलाज हुआ, वहीं इस बार छोटे से छोटे निजी अस्पतालों में भी लोगों ने कोरोना का इलाज कराया। कोरोना की दूसरी लहर के चलते इस बार शहर के अधिकांश घरों से मरीज निकले। कोरोना ने जहां कई घरों को शिकार बनाया, वहीं कई घर ऐसे थे जहां कुछ लोग ही कोरोना के शिकार हुए और उसका कारण था कोविड की तीव्रता। यदि कोरोना संक्रमित मरीज की सिटी वैल्यू 23 से ऊपर थी तो वह दूसरे लोगों को संक्रमित नहीं करता था।
शहर में जबरदस्त हर्ड इम्यूनिटी
कोरोना (Corona) की दूसरी लहर ने इस पैमाने पर कहर बरपाया कि बड़ी तादाद में इस बार शहर के लोग कोरोना पॉजिटिव हुए। इनमें से कई लोग अस्पताल पहुंचे, लेकिन ऐसे लोगों की भी बड़ी तादाद है, जो बिना लक्षण के कोरोना को परास्त करने में कामयाब हुए। ऐसे लोगों में भी एंटीबॉडी डेवलप होने से कोरोना से लड़ाई की क्षमता शहर में बढ़ गई है। प्रशासन को चाहिए कि अब वैक्सीनेशन के साथ ही शहर में सीरो सर्वे करवाए, ताकि ऐसे लोगों का पता लगाया जा सके कि कोरोना ने कितने लोगों को शिकार बनाया और बिना लक्षण के ही वे कोरोना को परास्त करने में कामयाब हुए। इसी आधार पर कोरोना की अगली लड़ाई लडऩे और कोविड गाइड लाइन तय करने में प्रशासन सक्षम हो पाएगा। हालांकि प्रशासन का पूरा ध्यान अभी कोरोना संक्रमण की गति रोकने और संक्रमण के कारण पैदा हुई ब्लक फंगस जैसी बीमारियों पर नियंत्रण पाने में लगा हुआ है।
क्या होती है हर्ड इम्यूनिटी
जिस शहर या देश में सर्वाधिक मरीज होते हैं वहां उतनी ही ज्यादा हर्ड इम्यूनिटी होती है। हर्ड इम्यूनिटी का अर्थ यह होता है कि मरीजों से ज्यादा लोगों में कोरोना (Corona) से लडऩे की एंटीबॉडी स्थापित हो जाती है। उसका कारण यह रहता है कि ये लोग संक्रमित तो होते हैं, लेकिन कोरोना कब शरीर में आकर चला गया इन्हें पता नहीं चला। ऐसे लोगों में अनजाने में ही कोरोना से लडऩे की क्षमता स्थापित हो जाती है। यदि ऐसे लोगों का पता लगाया जाए तो संक्रमण की सही स्थिति पता चल सकती है और उस आधार पर शहर में लॉकडाउन से लेकर नियंत्रण तक की परिस्थितियों का पता लगाया जा सकता है। पिछले कोरोना काल में इंदौर शहर में सबसे पहले मुस्लिम बस्तियों में कोरोना फैला था और वहीं सर्वाधिक हर्ड इम्यूनिटी पाई गई थी।
पहली लहर में हर चौथा व्यक्ति संक्रमित… देश में चौथा सीरो सर्वे शुरू… इस बार बच्चे भी शामिल
पिछली बार दिसम्बर 2020 से जनवरी 2021 के बीच किए गए तीन सीरो सर्वे में 25 फीसदी, यानी देश का हर चौथा व्यक्ति कोरोना (Corona) संक्रमित पाया गया था। अब कोरोना की दूसरी लहर के परिणाम जानने के लिए देश के 70 जिलों में चौथा सर्वे शुरू किया गया है, जिसमें मध्यप्रदेश के साथ राजस्थान, उत्तरप्रदेश, चंडीगढ़ और महाराष्ट्र को शामिल किया गया है। हालांकि इस बार सर्वे में 6 साल की आयु के बच्चों को भी शामिल किया जा रहा है, क्योंकि इस बार बच्चे भी बड़ी तादाद में संक्रमित हुए थे और इन बच्चों में महामारी के कोई बड़े लक्षण नजर नहीं आए थे। इसलिए कोरोना की तीसरी लहर के पूर्व बच्चों की स्थिति का पता लगाया जाना आवश्यक है।
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