नई दिल्ली/हैदराबाद. कोरोना वायरस के डेल्टा वेरियंट (B.1.617.2) को अब तक का सबसे संक्रामक रूप बताया जा रहा था. ये वेरिएंट (Delta Covid Variant) कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बढ़ने का मुख्य कारण बना. अब वैज्ञानिकों को इस डेल्टा वेरिएंट के ज्यादा म्यूटेंट वर्जन के फैलने की आशंका है. वैज्ञानिकों को आशंका है कि भारत में सबसे पहले मिला कोरोना वायरस का डेल्टा वेरिएंट अब और भी संक्रमक AY.1 या डेल्टा+ में म्यूटेट कर चुका है. ये नया म्यूटेंट एंटीबॉडी कॉकटेल (Antibody Cocktail) को भी बेअसर करने में सक्षम है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल फिलहाल कोरोना वायरस के इलाज में सबसे कारगर बताया जा रहा है.
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, ब्रिटिश सरकार के स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल विभाग की एक कार्यकारी एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने ग्लोबल साइंस GISAID की पहल पर अब तक नए Okay417N उत्परिवर्तन के साथ डेल्टा (B.1.617.2) के 63 जीनोम की पहचान है. कोविड-19 वेरिएंट पर पिछले शुक्रवार तक अपडेट की गई रिपोर्ट में भारत ने 7 जून तक डेल्टा+ के 6 मामले दर्ज किए थे.
दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के डॉक्टर और कम्प्यूटेशनल बायोलॉजिस्ट विनोद स्कारिया ने कहा कि Okay417N के बारे में विचार करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा कैसिरिविमाब और इम्डेविमाब (imdevimab) के प्रतिरोध को बेअसर करने के सबूत हैं. स्कारिया ने रविवार को ट्वीट किया कि उभरते हुए वेरिएंट्स में डेल्टा+ (बी.1.617.2.1) को Okay417N म्यूटेशन के अधिग्रहण की विशेषता थी, जो रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन को मैप करता है. ये इम्यून एस्केप से भी जुड़ा है.
पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (England) की रिपोर्ट में कहा गया है कि डेल्टा-AY.1 डेल्टा में विविधताओं की नियमित स्कैनिंग के माध्यम से पाया गया. इस रिपोर्ट में कहा गया कि बहुत कम संख्या में ज्ञात अनुक्रमों ने स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन Okay417N को हासिल कर लिया था. वैज्ञानिकों (scientists) ने इस तरह के सबसे पहले सिक्वेंस का पता मार्च के अंत में यूरोप में लगाया था. स्कारिया ने कहा कि यूरोप, एशिया और अमेरिका के 127 सीक्वेंस अब पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं. स्कारिया ने बताया कि दुनियाभर में अब उपलब्ध कई जीनोम AY.1 या B.1.617.2.1 वंश का हिस्सा थे.
क्या है एंटीबॉडी कॉकटेल दवा? कैसे करती है काम?
स्विस कंपनी रॉश ने ये दवा बनाई है. इसमें दो एंटीबॉडी का मिश्रण कृत्रिम तरीक़े से लैब में तैयार किया गया है, जिसे मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल कहते हैं. ये दवा हैं -कैसिरिविमाब (Casirivimab) और इम्डेविमाब (Imdevimab).
शरीर के अंदर जैसे ही दवा पहुंचती है, ये वायरस को ब्लॉक कर देती है. जिस वजह से कोरोना वायरस दूसरे सेल्स ( कोशिकाओं ) के अंदर नहीं प्रवेश कर पाता. ऐसा इसलिए संभव हो पाता है, क्योंकि उसे शरीर के अंदर फैलने और बढ़ने के लिए ज़रूरी पोशक तत्व नहीं मिलते. मतलब ये कि दोनों एंटीबॉडी (Antibodies) मिलकर वायरस को मल्टीप्लाई शरीर में मल्टीप्लाई होने से रोकते हैं और इस तरह से वायरस को न्यूट्रीलाइज़ (बेअसर) कर देते हैं.
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