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    कोरोना ने बदली तस्वीर, घर में ही बनने लगे यंत्र

  • August 30, 2020

    रायपुर । कोरोना संक्रमण ने व्यापार उद्योग जगत को पूरी तरह से झकझोर कर रख दिया है। इनमें से कुछ क्षेत्र ऐसे हैं,जो अभी भी अपने को दोबारा स्थापित करने में लगे हुए हैं, वहीं कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिन्होंने कोरोना को देखते हुए अपने व्यापार का तरीका ही बदल दिया है। ऐसे ही क्षेत्रों में से एक नाम है लघु उद्योगों का। व्यापार जगत पर कोरोना की मार को देखते हुए लघु उद्योगों ने अपनी लागत कम करने के साथ ही अधिक से अधिक भारतीय उत्पादों का निर्माण और उनके विक्रय पर दोर देना शुरू कर दिया है। इनके साथ ही फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में अच्छे काम तलाशे जा रहे हैं। कुछ उद्योगों ने तो भोजन लंबे समय तक सुरिक्षत रखने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।

    कृषि कामों में सर्वाधिक उपयोग में आने वाले कल्टीवेटर्स का निर्माण इन दिनों स्थानीय स्तर पर घरों में भी किया जा रहा है। इस क्षेत्र में काम कर रहीं तूलिका पांडेय ने बताया कि कल्टीवेटर्स का निर्माण हम एक से डेढ़ लाख के रुपये में ही कर सकते हैं। कल्टीवेटर्स को रंग देने के लिए उसके आकार, डिजाइन आदि में आप अपना बजट बढ़ा सकते हैं। कल्टीवेटर्स के साथ ही बैकहो, आर्गेनिक खेती के लिए मशीन का भी निर्माण किया जा रहा है।

    स्टील प्लांटों, सीमेंट प्लांटों समेत दूसरे उद्योगों में उपयोग में आने वाले ऑटोमेशनल उपकरणों का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उद्योग से जुड़े कंपनोनेंट बनाए जा रहे हैं। पहले इन उत्पादों को भी बाहर से मंगाया जाता था। लघु उद्योग भारती दुर्ग इकाई के अध्यक्ष संजय चौबे कहा कि बड़ी-बड़ी चीजों के साथ ही हम इन छोटे-छोटे उत्पादों पर भी ध्यान देना होगा।

    लघु उद्योग भारती का कहना है कि उत्तरप्रदेश की तर्ज छत्तीसगढ़ में भी उद्योग लगाने की स्वीकृति मिलनी चाहिए। लघु उद्योग भारती के पूर्व अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल व दुर्ग अध्यक्ष संजय चौबे ने बताया कि उत्तरप्रदेश में छोटे व लघु उद्योगों के लिए अधिनियम की मंजूरी मिल गई है। इसके तहत सरकार द्वारा निर्धारित प्रारुप प्रपत्र को भरने के 72 घंटे में ही स्वीकृति मिल जाएगी। इसके बाद 900 दिन तक उद्यमी को किसी भी प्रकार से सरकारी विभाग से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भी यह अधिनियम लागू होना चाहिए।

    जिला उद्योग केंद्र के मुख्य महाप्रबंधक टीआर वैद्य ने बताया कि प्रधानमंत्री रोजनगार सृजन और मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ लेकर युवा स्वयं भी उद्यमी बन सकते हैं। इसके तहत खनिज आधारित उद्योग, वनाधारित उद्योग, कृषि आधारित उद्योग, रसायन उद्योग, कपड़ा उद्योग, सेवा उद्योग आदि में स्वरोजगार शुरू किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इन योजनाओं के तहत विनिर्माण योजनाओं के तहत अधिकतम 25 लाख रुपये और सेवा उद्योग के लिए अधिकतम 10 लाख रुपये तक की राशि बैंक के माध्यम से लोन के रूप में मिल सकती है। बैंकों द्वारा 95 फीसद लोन तक लोन स्वीकृत हो जाता है। इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए 18 साल से अधिक उम्र के युवा आवेदन कर सकते हैं। एक परिवार से केवल एक ही व्यक्ति पात्र होता है।

    आत्मनिर्भरता व चीनी उत्पादों के बहिष्कारों के चलते इन दिनों बाजार में एक नया चलन भी देखने को मिला है। रक्षाबंधन से इसकी शुरुआत हो गई है। जिस प्रकार महिला समूहों व कारीगरों ने कच्चा माल लेकर राखियां बनाई थीं, वैसे ही त्योहारों को देखते हुए घरों में सजाए जाने वाले सजावटी सामान, झालर, लाइटिंग भी बनाए जा रहे हैं।

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