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    चीन में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी, जानें कितना खतरनाक है नया वेरिएंट

  • March 14, 2022

    नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस (Corona virus) के नए मामले 676 दिनों में सबसे कम आए हैं। देश में कोविड की तीसरी लहर खत्म(End Corona Third Wave) होने की कगार पर है। फिलहाल भारत(India) में 24 घंटे के भीतर 3,000 के करीब डेली केसेज आ रहे हैं। लेकिन हॉन्ग कॉन्ग(Hong Kong) में रोज 34,000 से 55 हजार के करीब कोरोना (Corona) के मामले आ रहे हैं। दो साल पहले चीन (China) के वुहान शहर से कोरोना संक्रमण पूरी दुनिया में फैल गया था और अब उसके ही विशेष प्रशासनिक क्षेत्र हॉन्ग कॉन्ग में कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट (Hong Kong Omicron) तबाही मचा रहा है। वहां घातक पांचवीं लहर से स्थिति ऐसी हो चुकी है कि शवों को रखने के लिए जगह कम पड़ रही है। बड़ी संख्या में कोविड डेथ के चलते अंतिम संस्कार वाली जगहें अगले एक महीने तक बुक हैं। हालात का अंदाजा लगाइए कि अस्पताल के वॉर्ड में शवों को सीलबंद कर कुछ समय के लिए वहीं रखना पड़ रहा। चीन मेनलैंड में भी कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में जब भारत के लोग कोरोना का प्रकोप भूल वापस अपनी जिंदगी को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, क्या चीन में फैलता संक्रमण नए खतरे का संकेत है? वैसे भी फ्लाइट से हजारों किमी की दूरी ज्यादा नहीं होती। कोरोना ने यह दिखा दिया है। आइए समझते हैं कि आखिर वहां ऐसे हालात क्यों बने और भारत को क्या खतरा है?



    हॉन्ग कॉन्ग में कौन सा वेरिएंट है?
    सबसे पहले यह समझना महत्वपूर्ण है हॉन्ग कॉन्ग में कोरोना का ओमीक्रोन वेरिएंट है। वहां से आ रही खबरों में बताया जा रहा है कि अस्पताल के भीतर और बाहर की स्थिति देखकर ऐसा लगता है जैसे युद्ध के समय शरणार्थी शिविर लगा हो। कई दिनों तक मरीज अस्पताल के बाहर ही रहने को मजबूर हैं। हालांकि पिछले दो साल में महामारी को काबू में करने में हॉन्ग कॉन्ग काफी सफल दिख रहा था। 2021 के अंत तक 75 लाख की आबादी वाले शहर में केवल 12, 650 केस आए थे और करीब 220 मौतें दर्ज की गई थीं। लेकिन बेहद संक्रामक ओमीक्रोन वेरिएंट आने के बाद शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई। यहां ओमीक्रोन का पहला मामला दो फ्लाइट अटेंडेंट से पहुंचा था जिन्होंने कोविड के नियमों का उल्लंघन किया था। इसके बाद बड़ा क्लस्टर बन गया।

    हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी का आकलन कहता है कि शहर में मार्च के आखिर तक पीक आ सकता है और तब रोज 1,80,000 नए केसेज आएंगे। मई के मध्य तक कुल मौतों की संख्या 3,200 के आंकड़े को पार कर सकती है। हॉन्ग कॉन्ग के डॉक्टरों का कहना है कि ओमीक्रोन के ज्यादातर मामलों में पहले की तुलना में लक्षण सामान्य ही दिखाई दिए। इसका मतलब यह था कि कुछ लोग अपने आप कुछ दिनों में ठीक हो सकते हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के सामने संकट यह हो गया है कि जो लोग बिना लक्षण के पॉजिटिव आए उन्हें क्वारंटीन केंद्रों में आइसोलेट किया जा रहा है और यह संख्या बढ़ती ही चली गई।

    लक्षण तो पता है न!
    कोरोना फैलने के बाद से ही चीन मेनलैंड और हॉन्ग कॉन्ग के बीच बॉर्डर बंद कर दिए गए थे। घर पर आइसोलेट लोगों के लिए खाने-पीने की भी दिक्कत हो रही है। ओमीक्रोन के लक्षणों की बात करें तो खांसी, बुखार, जुकाम या थकान के साथ-साथ सिरदर्द, नाक बहना, छींक और गले में खराश की शिकायत देखी जाती है। कुछ केस में त्वचा पर घमौरी या हाथ-पैर में सूजन और खुजली के भी मामले आए।

    हॉन्ग कॉन्ग में घातक संक्रमण फैलने की सबसे बड़ी वजह
    दो साल में कोरोना संक्रमण कम फैलने के चलते लोगों ने वैक्सीनेशन को भी हल्के में ले लिया। बुजुर्गों में टीकाकरण की रफ्तार बेहद सुस्त रही। 11 साल से ऊपर के 76.2% लोग पूरी तरह से वैक्सीनेट हो चुके हैं। लेकिन 80 साल से ऊपर के एक तिहाई लोग ही कोरोना टीका लगा पाए हैं। भारतीय मूल के एक डॉक्टर बताते हैं कि हॉन्ग कॉन्ग में काफी कम कोविड फैला था तो कम लोग ही कोरोना संक्रमित लोगों को जानते थे और मौतों के बारे में सुना था। ऐसे में वैक्सीनेशन को लेकर गंभीरता कम देखी गई। हाल के वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता के चलते लोगों का सरकार में भरोसा कम है और इसलिए वैक्सीन लगवाने के लिए कोई जोश नहीं दिखा।
    सिंगापुर, यूके, अमेरिका समेत पांच देशों की तुलना में हॉन्ग कॉन्ग में वैक्सीन लगाने की रफ्तार और उसका प्रभाव बेहद कम दिखा। इसके बजाए हॉन्ग कॉन्ग में अजीब से भ्रमित करने वाली अटकलें और अफवाह फैलने लगी। एक स्टडी में लोगों ने यह आशंका जाहिर की कि क्या वैक्सीन लगाकर आबादी को कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है और शायद डीएनए बदल जाएगा और इसका मकसद केवल पैसा कमाना है। इस तरह की अफवाहों ने आखिर में हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को ही खतरनाक स्थिति में ला दिया।
    कई महीने तक प्रशासन भी गंभीर नहीं रहा और वैक्सीन लगवाइए या मत लगवाइए, उन्होंने कोई अंतर नहीं किया। अब जाकर कोविड नियमों में सख्ती की गई है। लोगों के जुटने पर बैन लग चुका है और कई तरह सेवाएं सीमित कर दी गई हैं। करीब 20 दिन पहले वैक्सीनेटे लोगों को ही रेस्तरां या मॉल में प्रवेश देने का फैसला किया गया। माना जा रहा है कि बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलने से बड़ी संख्या में लोग इम्युनिटी हासिल कर चुके हैं। हॉन्ग कॉन्ग की स्थिति को देख बीजिंग में भी खलबली है।

    चीन को तीन शहरों में लगाना पड़ा लॉकडाउन
    चीन में भी केस बढ़ने लगे तो उसने हॉन्ग कॉन्ग के करीबी दक्षिणी शहर शेनजेन (Shenzhen Lockdown) में लॉकडाउन लगा दिया। यहां की आबादी 1.7 करोड़ है। आशंका जताई जा रही है कि बॉर्डर पर सख्त रूल लागू होने के बाद भी पड़ोसी मेनलैंड राज्यों में कोरोना फैलने का खतरा पैदा हो गया है। शनिवार को चीन में 3300 से ज्यादा कोविड मामले सामने आए। चीन में चांगचुन के अलावा शांडोंग प्रांत के युचेंग में भी लॉकडाउन लग चुका है। शांडोंग में 175, ग्वांडोंग में 62, शांक्सी में 39, हेबेई में 33, जियांग्सू में 23, तियानजिन में 17 और बीजिंग में 20 कोविड के मरीज मिले हैं।

    भारत के लिए कितनी चिंता की बात
    हॉन्ग कॉन्ग की स्थिति से साफ है कि उसने कोरोना वैक्सीनेशन पर ध्यान नहीं दिया जबकि भारत की स्थिति इसमें काफी मजबूत रही है। देश में युद्ध स्तर पर कोरोना वैक्सीनेशन किया गया और अब बूस्टर भी लगाया जा रहा है। देश में कोरोना वैक्सीन की 1,80,19,45,779 खुराक लगाई जा चुकी है। भारत के लोगों ने भी वैक्सीनेशन को गंभीरता से लिया है और सरकार की तरफ से हर उम्र वर्ग के लोगों को वैक्सीनेट करने की दिशा में प्रयास किए गए हैं। एक्सपर्ट भी मानकर चल रहे हैं कि कोरोना की तीसरी लहर घातक इसीलिए नहीं रही क्योंकि देश में कोरोना वैक्सीनेशन बेहतर तरीके से हुआ है।
    कोरोना की चौथी लहर जून में आने की आशंका जताई गई है। हालांकि जाने माने वायरस एक्सपर्ट डॉ. टी. जैकब जॉन का कहना है कि देश में तब तक महामारी की चौथी लहर नहीं आएगी, जब तक वायरस का कोई नया खतरनाक वेरिएंट सामने नहीं आ जाता। सरकार की तरफ से और आम लोग भी कोरोना से बचने के लिए मास्क और सैनिटाइजेश का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर हम इसी तरह वैक्सीनेशन के साथ प्रोटोकॉल का पालन करते रहें तो कोरोना से बचा जा सकेगा।

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