नई दिल्ली । महाराष्ट्र और केरल सहित देश के पांच राज्यों में कोरोना (Corona) के मामले बढ़ रहे हैं लेकिन उत्तराखंड (Uttarakhand) और हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) सहित आठ राज्यों के 63 जिलों में हालात ठीक नहीं है।
शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की बैठक में इन जिलों की स्थिति को लेकर जब आंकड़ें पेश किए गए तो पता चला कि सरकारों का इन जिलों पर ध्यान ही नहीं है। यहां जांच के साथ साथ आरटी पीसीआर (RT PCR) तकनीक को लेकर भी सरकार/जिला प्रशासनों का ध्यान कम हुआ है।
यह जानकारी सामने आने पर अधिकारियों ने भी हैरानी जताई क्योंकि पिछले एक महीने से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry of Health) लगातार इन राज्यों को पत्र लिख जमीनी स्तर पर सख्ती बरतने की सलाह दे रहा है।
दरअसल शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, ओड़िशा, गोवा, चंडीगढ़, हरियाणा और आंध्र प्रदेश के स्वास्थ्य सचिव और राज्य स्वास्थ्य मिशन के निदेशक के साथ बैठक कर रहे थे।
इस दौरान पता चला कि इन राज्यों के 63 जिलों में कोरोना वायरस को लेकर हालात ठीक नहीं है। गौर करने वाली बात है कि देश की राजधानी दिल्ली में कुल 11 जिले हैं और यहां 9 जिलों में कोरोना की वर्तमान स्थिति को लेकर सवाल खड़े किए गए।
ठीक इसी तरह हरियाणा (Haryana) के 15, आंध्र प्रदेश-ओड़िशा (Andra Pradesh-Odisha) के 10-10, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में नौ, उत्तराखंड में सात, गोवा (Goa) में दो और चंडीगढ़ (Chandigarh) के एक जिले में कोरोना वायरस की जांच में कमी देखने को मिल रही है। इन जिलों में आरटी पीसीआर जांच को लेकर भी प्रशासनिक तौर पर सुस्ती बरती जा रही है।
ये हालात तब हैं जब देश में कोरोना वायरस के नए मामलों के बढ़ने से चिंता जताई जा रही है। साथ ही इन जिलों में कोरोना की संक्त्रस्मण दर निरंतर बढ़ रही है। इसके बाद भी इनका ध्यान नहीं है।
बैठक में ही मौजूद एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संक्त्रस्मण को लेकर सबसे बड़ी चुनौती पहाड़ी क्षेत्रों के लिए है। पिछले कुछ समय से इन क्षेत्रों में दूसरे राज्यों के पर्यटकों का आवागमन भी तेजी से बढ़ा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में इस वक्त हजारों-लाखों लोग पहुंच रहे हैं। ऐसे में अगर थोड़ी सी भी लापरवाही प्रशासनिक या सरकार के स्तर पर बरती गई तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है।
कोरोना ब्लास्ट से कम नहीं है ये जिले
बैठक में अधिकारियों ने यहां तक कहा कि ये जिले कोरोना वायरस के ब्लॉस्ट से कम नहीं हैं। यहां संक्रमण का उच्च जोखिम देखने को मिल रहा है। इसका सीधा नुकसान पड़ोसी राज्यों को हो सकता है। यह सभी जिले मिलकर एक बड़ी मुसीबत पैदा कर सकते हैं। इसीलिए राज्यों के शीर्ष अधिकारियों से तत्काल जिला स्तर पर निगरानी बढ़ाने के आदेश दिए हैं।
एक मरीज पर 20 का पता लगाना जरूरी
बैठक के बाद नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि जिन जिलों के हालात को लेकर समीक्षा की गई है वहां स्थिति चिंताजनक जरूर है लेकिन अभी हमारे पास नियंत्रण में लाने के लिए समय है।
यहां मिलने वाले कोरोना संक्रमित मरीज पर कम से कम 20 लोगों की ट्रेसिंग होनी ही चाहिए। ऐसा करने में कामयाबी मिलती है तो इसका मतलब हम सोर्स ऑफ इंफेक्शन या फिर सुपर स्प्रेडर तक पहुंच पा रहे हैं जोकि बहुत जरूरी भी है।
वहीं स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि बैठक में कई जरूरी बिंदुओं पर कार्य करने के लिए राज्यों से कहा है। अगले कुछ दिन समीक्षा के बाद फिर से इनके साथ बैठक होगी।
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