उज्जैन। कोरोना की चौथी लहर की दस्तक देश में हो गई है। हालांकि दिल्ली सहित कुछ स्थानों पर मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है और बीते 24 घंटे में देश में 2183 नए मरीजों के मिलने के साथ 214 की मौत भी बताई गई है। मगर गनीमत है कि उज्जैन अभी कोरोना के मामले में लगभग शून्य की स्थिति में है। अप्रैल के महीने में ही तीन बार 24 घंटे में नए मरीजों की संख्या शून्य रही है और चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि पिछले डेढ़ महीने से एक भी मरीज उपचार कराने के लिए भर्ती नहीं हुआ है। उज्जैन को कोरोना की तीसरी लहर में भी वैैक्सीनेशन का जबरदस्त फायदा मिला, क्योंकि लगभग शत-प्रतिशत 18 साल से अधिक उम्र की आबादी को वैक्सीन लगा दिया गया है। हालांकि गत वर्ष इन्हीं मार्च-अप्रैल के दिनों में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपा रखा था। ऑक्सीजन, इंजेक्शन, बेड ना मिलने के चलते कई मौतें हो गई और इंदौर भी इससे अछूता नहीं रहा।
मगर अभी जनवरी में जो कोरोना की जो तीसरी लहर आई उसने बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित तो किया, मगर सर्दी, जुखाम, बुखार के ये मरीज तीन से चार दिन में घर पर ही ठीक हो गए। जिस ओमिक्रॉन वैरिएंट ने चीन सहित कई देशों में हाहाकार मचा रखा है उससे भारत में कोई नुकसान नहीं हुआ और चौथी लहर में भी इसी से बना नया वैरिएंट है और विशेषज्ञों का कहना है कि यह चौथी लहर भी देश में कम असरकारक रहेगी। इंदौर में तो फिलहाल कोरोना मरीजों की स्थिति शून्य के आसपास ही है। अप्रैल के 17 दिनों में शहर में एक भी कोरोना मरीज नहीं मिला है। कल रात भी जारी मेडिकल बुलेटिन में पॉजिटिव मरीज शून्य रहे। हालांकि सैम्पलों की संख्या भी मात्र 246 रही, क्योंकि अब लोग सैम्पल भी देने से कतराते हैं और ना ही निजी लैब में भी जाकर जांच करवाते हैं। सामान्य सर्दी-जुखाम, बुखार होने पर तीन-चार दिन में ही लोग स्वस्थ भी हो जाते हैं। कोरोना की चौथी लहर के आगमन के साथ जुलाई-अगस्त तक उसके पीक पर पहुंचने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। उज्जैन तो फिलहाल बचा हुआ ही है और कोरोना प्रोटोकॉल भी कहीं नजर नहीं आता।
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