राजकोट/अहमदाबाद । कोरोना महामारी से भारत सहित दुनियाभर के देशों में दहशत का माहौल व्याप्त है। इस वायरस की भयावता का एक और महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है। राजकोट में कोरोना से मरने वालों के शव का पोस्टमार्टम करने के दौरान फेफड़े पत्थर जैसे कठोर पाए गए हैं। कोरोना वायरस फेफड़ों में बहुत अधिक फाइब्रोसिस का कारण बनता है।
दरअसल कोरोना वायरस से मरने वालों के शवों का पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति सरकार नहीं देती है। कोरोना की गाइडलाइन में भी पोस्टमॉर्टम पर रोक है लेकिन कोरोना के मनुष्य के शरीर पर प्रभाव का अध्ययन करने के लिए राज्य सरकार ने अब तक 6 शवों का परीक्षण करने की अनुमति दी है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने मानव शरीर में कोरोना के प्रभावों का अध्ययन करने और उपचार पद्धति में सुधार करने के लिए जोखिम उठाने की अनुमति दी थी।
राजकोट में पीडीयू मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक विभाग ने 6 शवों का परीक्षण किया, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राजकोट में कोरोना के 6 शवों की ऑटोप्सी ने संक्रामक बीमारी का खतरा दिखाया है। द्रव के थक्के फेफड़ों के अस्तर में बनते हैं और फेफड़े अपनी लोच खो देते हैं, जिसे फाइब्रोसिस कहा जाता है। इससे फेफड़े रंग बदलते हैं।
इस संबंध में फोरेंसिक मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. हेतल कायदा ने कहा कि अनुसंधान शुरू करने के लिए पर्याप्त परीक्षण नहीं हुए हैं लेकिन यह खोज भी महत्वपूर्ण है कि कोरोना वायरस से फेफड़ों में बहुत अधिक फाइब्रोसिस का कारण बनता है। इससे फेफड़े पत्थर जैसे कठोर हो जाते हैं। फाइब्रोसिस से टीबी और निमोनिया होता है।
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