शर्म अल-शेख /नई दिल्ली। नुकसान व क्षति कोष के गठन (Constitution of loss and damage fund) के लिए अमीर देशों (rich countries) को मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के जलवायु परिर्वतन शिखर सम्मेलन कॉप27 (Climate Change Summit COP27) को दो दिन बढ़ाना पड़ा। कॉप27 के अध्यक्ष सामेह शुक्री (Cop27 President Sameh Shukri) ने कहा कि इस फैसले से कार्बन तटस्थता व जलवायु बदलावों को सहने में सक्षम भविष्य की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।
कोष पर सहमति बनाने और समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए सम्मेलन को तय समय से दो दिन के लिए बढ़ाना पड़ा। हालांकि, कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर अपेक्षित प्रगति देखने को नहीं मिली। खासतौर पर कार्बन उत्सर्जन के सबसे बड़े कारक जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किए जाने के प्रस्ताव पर कोई प्रगति नहीं हुई जो दुखद है।
गरीब देशों के लिए जीवनरेखा साबित होगा कोष
पर्यावरणीय थिंक टैंक वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष एनी दासगुप्ता ने कहा कि यह क्षतिपूर्ति कोष गरीब देशों और खासतौर पर गरीब परिवारों के लिए एक जीवनरेखा साबित होगा। पर्यावरणीय समूह क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल के हरजीत सिंह कहते हैं, यह प्रदूषण करने वालों को चेतावनी है कि वे जलवायु विनाश करने के बाद अब बच नहीं सकते।
भारत ने रखा था जीवाश्म ईंधन प्रस्ताव
जीवाश्म ईंधन प्रस्ताव को भारत ने रखा था और यूरोपीय संघ एवं अमेरिका सहित कई विकसित एवं विकासशील देशों ने उसे समर्थन दिया था। सम्मेलन की कामयाबी के लिहाज से देखें तो अक्षय ऊर्जा का मजबूती से समर्थन करते हुए ऊर्जा माध्यमों में न्यायोचित बदलाव के सिद्धांतों को शामिल किया गया है।
कॉप27 में अनुमान से अधिक प्रगति क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला कहती हैं, कॉप27 के अंत में अनुमान से अधिक प्रगति हुई है। पावर शिफ्ट अफ्रीका के कार्यकारी निदेशक मोहम्मद एडो ने कहा, नुकसान व क्षति कोष समझौते के अलावा तमाम दूसरे अहम मसलों पर प्रगति नहीं होना निराशाजनक है।
यूरोपीय संघ का प्रस्ताव नैतिक रूप से खोखला यूरोपीय आयोग के उपाध्यक्ष फ्रैंस टिम्मरमैन ने नुकसान व क्षति कोष पर सहमति जताई। उन्होंने सबसे ज्यादा खतरे वाले देशों की मदद के लिए दानदाताओं का व्यापक समूह के जरिये फाइनेंस फैसिलिटी स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। उनके इस प्रस्ताव को विकासशील देशों ने नैतिक रूप से खोखला बताया।
सम्मेलन में पांच बड़े कदम
– गैर-सरकारी संस्थाओं के लिए शून्य उत्सर्जन संकल्पों पर उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समूह ने पहली रिपोर्ट जारी की।
– संयुक्त राष्ट्र ने समय पूर्व चेतावनी प्रणाली के लिए एक कार्यकारी कार्ययोजना तैयार करने का प्रस्ताव रखा।
– अमेरिका के पूर्व उप-राष्ट्रपति और जलवायु कार्यकर्ता अल गोर ने संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से ट्रेस गठबंधन तैयार किया।
– बिजली, सड़क परिवहन, स्टील, हाइड्रोजन और कृषि के विकार्बनीकरण में तेजी लाने के लिए मास्टर प्लान पेश हुआ।
-संवहनीय व रूपांतरकारी बदलावों के लिए खाद्य एवं कृषि पहल फास्ट का एलान किया गया।
पांच बड़ी घोषणाएं
– शर्म अल-शेख अनुकूलन एजेंडा
– जल अनुकूलन एवं सहन क्षमता के लिए कार्रवाई पहल
– अफ्रीका कार्बन बाजार पहल
– बीमा अनुकूलन मुहिम
– वैश्विक अक्षय ऊर्जा गठबंधन
नुकसान व क्षति कोष स्थापना के अहम पड़ाव
1992 में जलवायु को हो रहे नुकसान व क्षति को पहचानने के लिए संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) की स्थापना की गई।
2015 में पेरिस में कॉप21 में व्यापक जोखिम प्रबंधन रणनीतियां विकसित करने और लागू करने के लिए एक समाशोधन गृह स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया।
2021 में ब्रिटेन के ग्लासगो में कॉप26 में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से नुकसान को रोकने के लिए डायलॉग स्थापित।
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