नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को रोकने के उद्देशय से ग्लासगो (Glasgow) में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन COP26 का समापन हो गया है। इस सम्मेलन में दुनियाभर (World) के बड़े देशों ने मंथन किया ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) से कैसे बचा जा सके। इसमें भारत को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के स्तर पर बड़ी जीत मिली है।
बता दें कि ग्लोबल वार्मिंग लक्ष्य को जीवित रखने के उद्देश्य से ग्लासगो में हुए इस जलवायु समझौते के तहत 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान के लक्ष्य को हासिल करने का उद्देश्य रखा गया है। इसमें भारत और चीन ने आखिरी समय में कोयले और जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की शब्दावली में परिवर्तन कराकर चरणबद्ध तरीके से कम करने की बात शामिल करने में सफलता हासिल कर ली।
COP26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने ग्लासगो क्लाइमेट पैक्ट की घोषणा करते हुए कहा कि यह तय हो गया है। उन्होंने कहा कि ‘मुझे उम्मीद है कि हम इस वार्ता से एकजुट होकर निकल सकते हैं. और एकसाथ होकर लोगों और धरती को कुछ अहम प्रदान कर सकते हैं.’ दरअसल कार्यक्रम के दौरान भारत की तरफ से सुझाए गए बदलावों की कई देशों ने आलोचना की. इस पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्लासगो सम्मेलन में कहा कि कोई भी किसी विकासशील देश से यह उम्मीद कैसे कर सकता है कि वे कोयला और जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को खत्म करने को लेकर वादा करे, जबकि उसके पास पहले ही विकास के एजेंडा को पूरा करने और गरीबी को मिटाने की चुनौती है।
यूएन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन को भले ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने एक बड़ा कदम बताया हो, लेकिन उन्होंने जलवायु संकट की ओर से बढ़ते विश्व को आगाह भी किया है। वहीं अमेरिकी जलवायु प्रमुख जॉन केरी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की दिशा में यह समझौता अंतिम नहीं है। हमें अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है।
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