कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) में चुनावी घमासान चल रहा है। कूचबिहार के सीतलकूची (Sitalkuchi) में पिछले कुछ दिनों से हालात तनावपूर्ण हैं। वहां एक मतदान केंद्र के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने शनिवार को कथित रूप से बेकाबू भीड़ पर फायरिंग कर दी थी। इस घटना में 4 लोगों की मौत हो गई थी। अब यह घटना पश्चिम बंगाल (West Bengal Elections 2021) की राजनीति का मुख्य केंद्र बन गई है।
लेकिन इसके अलावा भी वहां कई परेशानियां मौजूद हैं। 7 अप्रैल को टीएमसी प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके पास के इलाके में रैली की थी। इसमें उन्होंने लोगों से कहा था कि अगर सशस्त्र बल के जवान उन्हें मतदान करने से रोकते हैं तो वे उनका घेराव करें। उसी दिन शाम को ममता बनर्जी की रैली से लौट रहे टीएमसी समर्थकों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के काफिले पर हमला किया। अगले दिन टीएमसी ने मतभंगा सीट से उसके उम्मीदवार पर भी बदले की भावना से हमला करने का आरोप लगाया।
शनिवार को गोलीबारी में 4 लोगों की मौत के बाद टीएमसी ने सशस्त्र बलों पर केंद्र के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया, जबकि कूच बिहार प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार सशस्त्र बलों ने तब ही गोली चलाई जब भीड़ ने उन पर हमला किया। इस घटना के बाद टीएमसी भी चुनाव आयोग पर लगाए गए अपने आरोपों को फिर दोहरा रही है। उसका कहना है कि चुनाव आयोग बीजेपी की केंद्र सरकार के अधीन काम कर रहा है।
ममता बनर्जी रविवार को सीतलकूची का दौरा करने वाली थी। उनके इस दौरे पर चुनाव आयोग निगरानी रखेगा। इस घटना के कुछ घंटे बाद चुनाव आयोग ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए राजनीतिज्ञों के अगले 72 घंटे तक कूच बिहार जाने पर रोक लगा दी थी। टीएमसी लगातार पूरे राज्य में प्रदर्शन कर रही है। 7 अप्रैल की घटना को खतरे की घंटी बताते हुए दिलीप घोष ने चुनाव आयोग से सिफारिश की है कि वो ममता बनर्जी के चुनावी अभियान पर रोक लगाए। उनका कहना है कि ममता बनर्जी का भाषण एक समुदाय को उकसाता है और इसके नतीजतन राज्य में खून की नदियां बह सकती हैं।
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