नई दिल्ली । पेट्रोल और डीजल (petrol and diesel) की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों (electric Vehicle) को खरीदना शुरू कर दिया है. देश में हर महीने इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री के आंकड़े बढ़ रहे हैं. साल 2025 तक टाटा की कुल बिक्री में 25% गाड़ियां इलेक्ट्रिक होंगी. हालांकि कॉमन मैन के लिए इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) का सौदा अभी काफी महंगा है. देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली टाटा नेक्सन ईवी की एक्स-शोरूम कीमत 14 लाख से शुरू है.
पेट्रोल और डीजल की कार को कराएं कन्वर्ट
इलेक्ट्रिक कार महंगी तो हैं लेकिन उससे बचने का भी एक उपाय है. आप अपनी पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करा सकते हैं. इस काम को इलेक्ट्रिक व्हीकल पार्ट्स बनाने वाली कई कंपनियां कर रही हैं. वहीं, तैयार की गई इलेक्ट्रिक कार पर पूरी वारंटी भी देती हैं. आइए जानते हैं, इस काम में खर्च कितना आता है, कार की रेंज कितनी होती है, पेट्रोल की तुलना में रोजाना कितना खर्च आएगा और कितने समय में पैसा वसूल हो जाएगा.
कैसे होगी कन्वर्ट?
इस तरह के काम करने की अधिकतर कंपनियां हैदराबाद में हैं. इनमें ईट्रायो (etrio) और नॉर्थवेएमएस (northwayms) दो मेन कंपनियां हैं. ये दोनों कंपनियां किसी भी पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट कर देती हैं. आप वैगनआर, ऑल्टो, डिजायर, i10, स्पार्क या दूसरी कोई भी पेट्रोल या डीजल कार इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करा सकते हैं. कारों में इस्तेमाल होने वाली इलेक्ट्रिक किट लगभग एक जैसी होती है. हालांकि रेंज और पावर बढ़ाने के लिए बैटरी और मोटर में फर्क आ सकता है. इन कंपनियों से आप इनकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर संपर्क कर सकते हैं. ये कंपनियां इलेक्ट्रिक कार बेचती भी हैं.
कन्वर्ट में कितना खर्च आएगा?
दरअसल किसी भी कार को इलेक्ट्रिक कार में बदलने के लिए मोटर, कंट्रोलर, रोलर और बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है. कार में आने वाला खर्च इस बात पर डिपेंड करता है कि आप कितने किलोवॉट (kW) की बैटरी और कितने किलोवॉट की मोटर कार में लगवाना चाहते हैं, क्योंकि ये दोनों पार्ट कार के पावर और रेंज से जुड़े होते हैं. जैसे, करीब 20 किलोवॉट की इलेक्ट्रिक मोटर और 12 किलोवॉट की लिथियम आयन (Li-ion) बैटरी का खर्च करीब 4 लाख रुपए तक होता है. इसी तरह यदि बैटरी 22 किलोवॉट की होगी, तब इसका खर्च करीब 5 लाख रुपए तक आएगा.
कैसा रहेगा माइलेज?
कार की रेंज इस बात पर डिपेंड करती है कि उसमें कितने किलोवॉट की बैटरी लगी है. जैसे कार में 12 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी लगाई गई है तो ये फुल चार्ज होने पर करीब 70 किमी तक चलेगी. वहीं, अगर 22 किलोवॉट की लिथियम आयन बैटरी लगाई गई हो तो रेंज बढ़कर 150 किमी तक हो जाएगी. हालांकि, रेंज कम या ज्यादा होने में मोटर का रोल भी रहता है. अगर मोटर ज्यादा पॉवरफुल होती है तो कार की रेंज कम हो जाएगी.
फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक कार में कैसे बदला जाता है?
जब ये कंपनियां किसी फ्यूल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करती हैं तो पुराने सभी मैकेनिकल पार्ट्स को बदला जाता है. यानी कार का इंजन, फ्यूल टैंक, इंजन तक पॉवर पहुंचाने वाली केबल और दूसरे पार्ट्स के साथ AC के कनेक्शन को भी चेंज किया जाता है. इन सभी पार्ट्स को इलेक्ट्रिक पार्ट्स जैसे मोटर, कंट्रोलर, रोलर, बैटरी और चार्जर से बदला जाता है. इस काम में कम से कम 7 दिन का समय लग जाता है. सभी पार्ट्स कार के बोनट के नीचे ही फिक्स किए जाते हैं. वहीं, बैटरी की लेयर कार के चेसिस पर फिक्स की जाती है. बूट स्पेस पूरी तरह खाली रहता है. इसी तरह फ्यूल टैंक को हटाकर उसकी कैप पर चार्जिंग पॉइंट लगाया जाता है. कार के मॉडल में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाता.
पेट्रोल की तुलना में इलेक्ट्रिक कार से होगी बचत
इलेक्ट्रिक कार 74 पैसे में एक किमी तक चलती है. पेट्रोल या डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली ये कंपनी 5 साल की वारंटी भी देती हैं. यानी आपको कार में इस्तेमाल होने वाली किट पर कोई एक्स्ट्रा खर्च नहीं करना होगा. वहीं, बैटरी पर कंपनी 5 साल की वारंटी देती है. यानी 5 साल के बाद आपको बैटरी बदलने की जरूरत होगी. वहीं, पेट्रोल या डीजल कार में आपको सालाना सर्विस का खर्च भी करना होगा. ये आपको किट और सभी पार्ट्स का वारंटी सर्टिफिकेट भी देती हैं. इसे सरकार और RTO से मंजूरी होती है.
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