भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए राज्य शासन को निर्देश दिया है कि अपनी इच्छा से विवाह करने वाले वयस्कों पर मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 10 के अंतर्गत मुकदमा नहीं चलाया जाए। इसी के साथ राज्य शासन को तीन सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश भी दिया गया है।
न्यायमूर्ति सुजय पाल व न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र गुप्ता की युगलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया है कि धारा 10, जो मतांतरण के इच्छुक नागरिक के लिए जिला मजिस्ट्रेट को इस संबंध में (पूर्व) घोषणा देना अनिवार्य बनाती है, प्रथमदृष्ट्या असंवैधानिक प्रतीक होती है। लिहाजा, आगामी आदेश तक राज्य शासन इसके आधार पर वयस्क नागरिकों पर मुकदमा नहीं चलाएगा। यदि वे अपनी इच्छा से विवाह करते हैं तो उनके विरुद्ध मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 के उल्लेघन के लिए कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved