नई दिल्ली । केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी (Minister of State Suresh Gopi) ने रविवार को यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया कि जनजातीय मामलों का मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) ‘सवर्ण जाति’ के लोगों को संभालना चाहिए। हालांकि, बाद में उन्होंने अपनी यह टिप्पणी वापस ले ली। अभिनय जगत से राजनीति में आए गोपी ने दिल्ली विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में प्रचार करने के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जनजातीय कल्याण में वास्तविक प्रगति तभी संभव होगी, जब मंत्रालय की जिम्मेदारी ‘सवर्ण जाति’ के नेता संभालेंगे। उन्होंने कहा कि यह मेरा सपना है कि आदिवासी समुदाय से इतर किसी व्यक्ति को उनके कल्याण के लिए नियुक्त किया जाए। किसी ब्राह्मण या नायडू को जिम्मेदारी दी जाए।
गोपी ने इस टिप्पणी की आलोचना होने पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने अच्छे इरादे से यह बयान दिया था। उन्होंने कहा, ”यदि मेरी टिप्पणी को अच्छे रूप में स्वीकार नहीं किया गया है या यदि यह स्पष्टीकरण असंतोषजनक है, तो मैं अपनी टिप्पणी वापस लेता हूं।” गोपी ने स्पष्ट किया कि उनका इरादा भेदभाव को समाप्त करना था। उन्होंने कहा, ”मैंने किसी को अच्छा या बुरा नहीं कहा; मेरा एकमात्र उद्देश्य इस परिपाटी को तोड़ना था। एक नेता के रूप में आदिवासी समुदाय का कल्याण हमेशा मेरी प्राथमिकता रहा है।”
इससे पहले, गोपी ने कहा था, ”यह हमारे देश का अभिशाप है कि केवल आदिवासी समुदाय से आने वाले व्यक्ति को ही जनजातीय मामलों का मंत्री बनाया जा सकता है।” उन्होंने कहा था, ”यह मेरा सपना है कि आदिवासी समुदाय से इतर किसी व्यक्ति को उनके कल्याण के लिए नियुक्त किया जाए। किसी ब्राह्मण या नायडू को जिम्मेदारी दी जाए। इससे महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। इसी तरह, आदिवासी नेताओं को अगड़े समुदायों के कल्याण के लिए विभाग दिया जाना चाहिए।”
गोपी ने कहा, ”ऐसा बदलाव हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में होना चाहिए।” जनजातीय मामलों का मंत्रालय संभालने की इच्छा जताते हुए त्रिशूर के सांसद ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अनुरोध किया था कि उन्हें यह मंत्रालय आवंटित किया जाए। उन्होंने कहा, ”लेकिन, मंत्रालयों के आवंटन को लेकर कुछ परिपाटी है।” गोपी की टिप्पणी की पूरे केरल में व्यापक आलोचना हुई है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के प्रदेश सचिव बिनय विश्वम ने गोपी पर निशाना साधते हुए उन्हें चार वर्णीय व्यवस्था का प्रचारक बताया और उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की। विश्वम ने केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन से भी इस्तीफा देने की मांग की और उन पर संघीय सिद्धांतों की अवहेलना करने तथा केरल का अपमान करने का आरोप लगाया। कुरियन ने शनिवार को कहा था कि राज्य को केंद्र से अधिक धनराशि प्राप्त करने के लिए शिक्षा, बुनियादी ढांचे और सामाजिक कल्याण में खुद को पिछड़ा घोषित करना चाहिए।
विश्वम ने कहा, ”ये दोनों मंत्री आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के तहत भारतीय संविधान के समक्ष आने वाली चुनौतियों के जीवंत उदाहरण हैं।” उन्होंने संविधान की संरक्षक राष्ट्रपति से इस मामले को गंभीरता से लेने का आग्रह किया। प्रमुख आदिवासी नेता सीके जानू ने भी गोपी की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की और इन्हें निम्न-श्रेणी का तथा मंत्री में समझ के अभाव का सबूत बताया। केंद्र की मौजूदा सरकार में ओडिशा से भाजपा के प्रमुख आदिवासी नेता जुएल ओराम केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री हैं।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved