नई दिल्ली (New Delhi) । राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (National Backward Classes Commission) की रिपोर्ट (Report) को लेकर विवाद छिड़ गया है. आयोग की रिपोर्ट में चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान और पंजाब) में ओबीसी (OBC) के आरक्षण (OBC Reservation) को लेकर सवाल उठाए गए हैं. बंगाल (West Bengal) में जहां ओबीसी आरक्षण के नाम पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया गया है, वहीं बिहार (Bihar) में 30 साल तक नॉन क्रीमीलेयर का सर्टिफिकेट बनवाने में गड़बड़ी की बात कही गई है.
राजस्थान में भी सर्टिफिकेट बनवाने में गड़बड़ी की बात है जबकि पंजाब में ओबीसी को कम रिजर्वेशन की बात कही गई है. जिन चार राज्यों पर सवाल उठाए गए हैं, उन चारों ही राज्यों में फिलहाल विपक्षी पार्टियां सत्ता में हैं. यही वजह है कि इस रिपोर्ट के सहारे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पिछड़ी जातियों का हक मारने का आरोप लगाया है.
बीजेपी अध्यक्ष ने ओबीसी आरक्षण को लेकर बोला हमला
जेपी नड्डा ने कहा कि ओबीसी का संवैधानिक हक आरक्षण का जो दिया गया है उसका पंजाब, बिहार, पश्चिम बंगाल और राजस्थान की सरकारें खुलेआम हनन कर रही हैं. जातिगत जनगणना की बात करने वाले दल खुलेआम ओबीसी भाइयों के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं. बंगाल में ओबीसी के कोटा का खुलेआम मुस्लिम तुष्टिकरण किया जा रहा है और पिछड़ा वर्ग के उनके हक से उन्हें वंचित किया जा रहा है.
बंगाल सरकार को घेरा
उन्होंने बंगाल सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि बंगाल में बांग्लादेश और रोहिंग्याओं से घुसपैठियों को ओबीसी प्रमाणपत्र देने का प्रयास किया जा रहा है. अब सवाल ये है कि क्या वाकई ओबीसी के हितों का झंडा बुलंद करने वाली पार्टियां उनके आरक्षण का हक मार रही हैं. सवाल ये भी है कि क्या ओबीसी आरक्षण के नाम पर तुष्टिकरण हो रहा है औ क्या 2024 के लिए ओबीसी के नाम पर ये राजनीति हो रही है. इस मसले पर वार-पलटवार भी हुआ है.
ओबीसी आरक्षण पर वार-पलटवार शुरू
जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं का राजनीति की दृष्टि से उपयोग किया जा रहा है. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट से दिख रहा है कि तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है. वहीं आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा कि जेपी नड्डा इसलिए बयानबाजी इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन लोगों को डर है कि समान विचारधारा वाले कई दल 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए एकजुट हो रहे हैं और बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा.
“ओबीसी समाज के साथ हो रहा भेदभाव”
इस मुद्दे पर केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री भूपेंद्र यादव ने आरोप लगाया कि जहां-जहां कांग्रेस और तथाकथित सहयोगियों की सरकारें हैं वहां ओबीसी समाज के साथ जो भेदभावपूर्ण नीति अपनाई जा रही है वो काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. पंजाब में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हिसाब से ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया जाए, लेकिन महज 12 फीसदी ही मिल रहा है. पश्चिम बंगाल में तो ओबीसी का आरक्षण मुस्लिमों को दिया जा रहा है.
आप-कांग्रेस ने बीजेपी पर साधा निशाना
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने आरोप लगाया कि कि बीजेपी की जहां-जहां सरकारें हैं, वहां पर दलितों और पिछड़ों को इस देश का नागरिक नहीं माना जाता. इस तरह का भेदभाव किया जाता है. बीजेपी ने दलितों का आरक्षण खा लिया. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी पिछड़ा विरोधी है इसीलिए केवल भाषण देती है, जाति जनगणना नहीं कराती. सबको बराबर हक मिले इसीलिए कांग्रेस जाति जनगणना की मांग कर रही है. कांग्रेस के चार में से तीन मुख्यमंत्री ओबीसी से हैं.
आरोपों पर आयोग के अध्यक्ष ने दिया जवाब
रिपोर्ट के राजनीति से प्रेरित होने के आरोपों पर एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा कि हमने सभी राज्यों में जाकर ओबीसी वर्ग की स्थिति और उन्हें दिए गए आरक्षण को चेक किया है. मैंने खुद 12 राज्यों का दौरा किया. इसमें सबसे ज्यादा धांधली हमें बंगाल में मिली. हमने वहां के मुख्य सचिव को भी बातचीत के लिए बुलाया था. इसमें कोई राजनीति नहीं हैं, हमने किसी भी पार्टी का नाम नहीं लिया हैं.
बंगाल को लेकर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि 2009 तक बंगाल में ओबीसी में 12 जातियां मुस्लिमों की थी. 2010 तक इसमें 41 मुस्लिम जातियां और जोड़ दी गईं. इसके बाद 2011 से लेकर अब तक इनकी संख्या 118 हो गई है जबकि हिंदुओं की 61 जातियां हैं. अब हिंदु बहुल राज्य में ज्यादा मुस्लिम जातियां कैसे आई. जो भी प्रश्न हमारे सामने आए हैं वो हमने रख दिए हैं. अहीर ने बताया कि जब मैं बंगाल में था तो मुझे बताया गया कि यहां बड़े पैमाने पर हिंदू लोग मुस्लिम बने हैं, लेकिन इनकी कितनी संख्या है, कब बने हैं, इसका कोई जवाब नहीं दिया गया.
इससे पहले 8 जून को अहीर ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में 179 ओबीसी जातियों में से 118 मुस्लिम समुदाय से हैं. इतनी सारी मुस्लिम जातियों को ओबीसी का दर्जा देने के पीछे तुष्टीकरण की राजनीति है. राजस्थान, पंजाब और बिहार में ओबीसी आरक्षण को ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है.
बीजेपी खटखटाएगी कोर्ट का दरवाजा
पिछड़ा वर्ग की आबादी देश में सबसे ज्यादा है और इसे सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता है. साथ ही इसकी राजनीति के सहारे कई पार्टियों का वजूद है. बंगाल और राजस्थान में ओबीसी आरक्षण के मामले को बीजेपी बड़े लेवल पर उठाने जा रही है. वकीलों की राय ली जा रही है और अगले एक दो दिन में बीजेपी कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. ओबीसी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर बीजेपी राज्य सरकारों को घेरने वाली है.
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