पेरिस। फ्रांस में हिजाब (hijab in france) को लेकर एक बार फिर से विवाद (Controversy) शुरू हो गया है। बता दें कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों(French President Emmanuel Macron) की पार्टी ने कुछ महिलाओं को स्थानीय चुनाव में प्रत्याशी बनाया था। लेकिन इन महिलाओं के द्वारा हिजाब (hijab) पहनकर प्रचार करने के बाद पार्टी ने अपना समर्थन (Support) वापस ले लिया। अब ये महिलाएं निर्दलीय उम्मीदवार (women independent candidates) के तौर पर चुनाव मैदान में हैं। इमैनुएल मैक्रों के इस फैसले को लोग मुस्लिम विरोधी (anti muslim) कह रहे हैं। इसकी जमकर आलोचना हो रही है। लैबोरेट्री टेक्निशियन सारा जेमाही काउंसिलर (Laboratory Technician Sarah Jemahi Counselor) का चुनाव लड़ रही है। लेकिन पिछले महीने इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) की पार्टी ने उनसे समर्थ वापस ले लिया। सिर्फ जेमाही ही नहीं 3 और उम्मीवारों (Candidates) के साथ फ्रांस में ऐसा ही हुआ। बतां दे कि फ्रांस के मॉटेंपेलर (Montepeller of France) इलाके में बड़ी संख्या में मुस्लिम रहते है।
पार्टी ने कहा- पहले ही किया था मना
इमैनुएल मैक्रों की पार्टी लारेम (Emmanuel Macron’s Party Larem) ने विवाद पर अपनी सफाई में कहा है कि पहले ही उनकी तरफ से कहा गया था कि चुनाव प्रचार के दौरान दस्तावेजों पर धार्मिक प्रतीकों को प्रदर्शन करने की छूट नहीं होगी। लिहाजा ऐसा करने से सारा जेमाही और 3 और कैंडिडेंट (Candidates) से समर्थन वापस ले लिए गए हैं। लारेम के प्रवक्ता रोलैंड लेस्क्योर (Roland Lescure) ने बताया, ‘जिस क्षण आप प्रचार के पोस्टर पर एक धार्मिक प्रतीक पहनते हैं, ये एक राजनीतिक काम बन जाता है।’
विवादों में हिजाब
इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) की हर तरफ आलोचना हो रही है। फ्रांस (france) में दूसरे धर्म को लेकर हमेशा कुछ न कुछ विवाद होता रहा है। यहां साल 2004 में स्कूलों में धर्म से जुड़े प्रतीक चिन्ह पहनने पर बैन लगा दिया गया था। इनमें ईसाइयों का क्रॉस और मुसलमानों का हिजाब शामिल था। साल 2010 में फ्रांस की सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर कोई भी ऐसी चीज पहनने मना कर दिया था जिससे पूरा चेहरा छुप जाता हो।
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