नई दिल्ली: देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर काफी बवाल देखने को मिला था. अब इसी तर्ज पर नेपाल में भी ऐसा ही माहौल देखने को मिल रहा है. वहां की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नागरिकता संशोधन विधेयक को रविवार को पुनर्विचार के लिए प्रतिनिधि सभा को वापस लौटा दिया है. एक महीने पहले ही इस विधेयक को पास करवाया गया था. लेकिन अब राष्ट्रपति ने एक बार फिर इसे पुनर्विचार के लिए भेज दिया है.
राष्ट्रपति ने वापस क्यों भेजा विधेयक?
राष्ट्रपति कार्यलय के प्रवक्ता सागर आचार्य के मुताबिक इस विधेयक पर और ज्यादा चर्चा की जरूरत है. इसी वजह से इसे वापस पुनर्विचार के लिए भेज दिया गया है. जानकारी के लिए बता दें कि नेपाल नागरिकता अधिनियम 2063 बीएस को संशोधित कर नागरिकता संशोधन विधेयक लाया गया था. लेकिन इस विधेयक के कई ऐसे पहलू रहे जिन पर विवाद भी देखने को मिला और एक आम सहमति भी नहीं बन पाई.
किन पहलुओं पर विवाद?
ऐसा ही एक विवाद विधेयक के उस पहलू को लेकर था जहां पर कहा गया कि जो भी विदेशी महिला किसी नेपाली नागरिक से शादी करेगी, तो उसे तुरंत नागरिकता का सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा. दो साल पहले तक तो इस बात पर विवाद था कि नेपाली नागरिक से अगर कोई विदेशी महिला शादी करेगी तो उसे सात साल तक देश की नागरिकता के लिए इंतजार करना पड़ेगा. लेकिन तब भी इस पहलू पर विवाद रहा और अब जब तुरंत प्रमाणपत्र देने की बात हुई है, तब भी विवाद चल रहा है. विवाद इस पहलू पर भी है कि जो बच्चे 20 सितंबर, 2015 से पहले जन्में हैं, वे अपनी नागरिकता वंश के आधार पर हासिल कर पाएंगे.
इस साल 14 जुलाई को पारित हुआ बिल
लेकिन दो साल लगातार चर्चा के बाद इस साल 14 जुलाई को सदन में नेपाल का ये नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कर दिया गया था. फिर फाइनल मुहर के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया जहां से निराशा हाथ लगी है. अभी तक सरकार के किसी मंत्री या प्रधानमंत्री ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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