नई दिल्ली: भारत को मुक्केबाजी में युवा निशांत देव से पेरिस ओलंपिक में पदक की उम्मीद थी. क्वार्टर फाइनल मैच में उनका खेल जबरदस्त था और पहले दो राउंड में बढ़त लेने के बाद भी उनको बाहर होना पड़ा. मुक्केबाजी में विजेता का फैसला एक दूसरे पर घूंसों की बरसात से होता है लेकिन इसकी स्कोरिंग प्रणाली आज तक किसी को समझ में नहीं आई. ताजा उदाहरण पेरिस ओलंपिक में भारत के निशांत देव का क्वार्टर फाइनल मुकाबला है.
निशांत 71 किलोवर्ग के क्वार्टर फाइनल में दो दौर में बढत बनाने के बाद मैक्सिको के मार्को वेरडे अलवारेज से 1-4 से हार गए तो सभी हैरान रह गए. हर ओलंपिक में यह बहस होती है कि आखिर जज किस आधार पर फैसला सुनाते हैं. निशांत का मामला पहला नहीं है और ना ही आखिरी होगा. लॉस एंजिलिस में 2028 ओलंपिक में मुक्केबाजी का होना तय नहीं है और इस तरह की विवादित स्कोरिंग से मामला और खराब हो रहा है.
निशांत के हारने के बाद पूर्व ओलंपिक कांस्य पदक विजेता विजेंदर सिंह ने एक्स पर लिखा ,‘‘ मुझे नहीं पता कि स्कोरिंग प्रणाली क्या है लेकिन यह काफी करीबी मुकाबला था. उसने अच्छा खेला. कोई ना भाई.’’ टोक्यो ओलंपिक 2020 में एम सी मेरीकोम प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबला हारने के बाद रिंग से मायूसी में बाहर निकली थी क्योंकि उन्हें जीत का यकीन था. उन्होंने उस समय पीटीआई से कहा था ,‘‘सबसे खराब बात यह है कि कोई रिव्यू या विरोध नहीं कर सकते. मुझे यकीन है कि दुनिया ने इसे देखा होगा. इन्होंने हद कर दी है.’’
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved