मुंबई (Mumbai) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) पर बनी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री की सार्वजनिक स्क्रीनिंग पर रोक लगाई गई है। इसके बावजूद देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज (universities) में इसे दिखाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) और पुणे स्थित भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) से ऐसी ही खबर है। TISS ने कुछ छात्रों ने शनिवार को इकट्ठा होकर लैपटॉप और फोन पर इसे देखा। इंस्टीट्यूट की ओर से पहले ही स्टूडेंट्स और मैनेजमेंट (students and management) को इसे लेकर एडवाइजरी जारी की चुकी थी। TISS के मेन कैंपस के अलावा अन्य परिसरों को भी आगाह किया गया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, एडवाइजरी में कहा गया कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो नियमों के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा। इसमें कहा गया कि स्क्रीनिंग को स्टूडेंट्स को ट्रिगर करने के प्रयास माना जाएगा। बीजेपी और आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) ने स्क्रीनिंग को लेकर कैंपस के बाहर प्रदर्शन किया। बीजेपी की मुंबई यूनिट के प्रमुख आशीष शेलार ने ट्वीट करके कहा, ‘पुलिस को तुरंत इसे बैन कर देना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे स्टेंड लेंगे जो लेना चाहते हैं।
डॉक्यूमेंट्री विवाद पर शुरू हुई सियासत
वहीं, टीआईएसएस छात्र संघ के नेता प्रतीक परमी ने कहा कि एसोसिएशन ने किसी स्क्रीनिंग की योजना नहीं बनाई है। उन्होंने कहा कि प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम (पीएसएफ) नामक समूह की ओर से ऐसा आयोजन हुआ है। इस मामले को लेकर सियासत भी शुरू हो चुकी है। एनसीपी चीफ शरद पवार ने इसे लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर शनिवार को निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘द मोदी क्वेश्चन’ पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लोकतंत्र पर हमला है। पवार ने कहा कि बीबीसी मीडिया समूह की ओर से बनाई गई डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध का निर्णय लेना पूरी तरह से लोकतंत्र पर हमला है। उन्होंने कहा कि लोग धार्मिक मुद्दों पर अपना वोट नहीं देंगे।
FTII कैंपस में भी देखी गई डॉक्यूमेंट्री
पुणे स्थित भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) छात्र संघ ने भी इस डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया। ‘एफटीआईआई स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ ने जारी बयान में कहा, ’26 जनवरी को बीबीसी के प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ का हमने एफटीआईआई में प्रदर्शन किया।’ एफटीआईआई के कुलसचिव सईद रबीहाशमी ने कहा कि यह जानकारी मिली है कि छात्रों के एक समूह ने डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया है। मामले की जांच की जाएगी।
DU में स्क्रीनिंग को लेकर हंगामे की जांच के लिए बनी समिति
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और आम्बेडकर विश्वविद्यालय समेत कई शिक्षण संस्थानों में इस विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने के प्रयास हुए हैं। केरल में बीते गुरुवार को कांग्रेस ने इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाया था। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने स्क्रीनिंग को लेकर आर्ट फैकल्टी के बाहर 27 जनवरी को हुए हंगामे की जांच के लिए 7 सदस्यीय समिति का गठन किया है। डीयू की प्रॉक्टर रजनी अब्बी की अगुवाई वाली इस समिति से 30 जनवरी को शाम 5 बजे तक कुलपति योगश सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।
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