नई दिल्ली: देश (Country) के विभिन्न राज्यों में उपचुनाव (By-Election) होने को हैं, ऐसे में नेताओं के बीच कटाक्ष और तंज भरे बयान अक्सर चर्चा में रहते हैं. हाल ही में कांग्रेस (Congress) ने धोलाई उपचुनाव में भाजपा (BJP) उम्मीदवार निहार रंजन दास पर तंज कसते हुए सवाल उठाया था कि क्या वे “बांग्लादेशी” हैं. जिसके बाद असम में राजनीतिक माहौल गरमा गया है. मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने कांग्रेस पर बंगाली हिंदुओं (Bengali Hindus) को “खतरे में डालने” का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्षी दल राजनीतिक लाभ के लिए संवेदनशील मुद्दों को भड़का रहा है.
दरअसल, धोलाई बंगाली भाषी बराक घाटी का हिस्सा है, वहां 13 नवंबर को उपचुनाव होने हैं. इस क्षेत्र की बांग्लादेश के साथ एक लंबी सीमा है, जिससे यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो जाता है. यह सीट भाजपा के पांच बार के विधायक और असम कैबिनेट के पूर्व मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद खाली हुई थी.
भाजपा ने इस उपचुनाव में निहार रंजन दास को टिकट दिया है, जबकि उनका मुकाबला कांग्रेस के ध्रुबज्योति पुरकायस्थ से है. रविवार को धोलाई में प्रचार के दौरान असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने भाजपा उम्मीदवार पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या निहार रंजन की पृष्ठभूमि संदिग्ध है. उनके मुताबिक, भाजपा नेता अमिया कांति दास ने खुद सार्वजनिक रूप से कहा था कि निहार रंजन दास “बांग्लादेशी” हैं. वहीं, निहार रंजन दास ने इस आरोप को खारिज करते हुए इसे ‘झूठा’ और ‘कांग्रेस की राजनीतिक चाल’ बताया. उन्होंने कहा, “इसमें कोई सच्चाई नहीं है और इसे कोई महत्व नहीं दिया जाना चाहिए. कांग्रेस सिर्फ राजनीति कर रही है.”
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ढोलाई में दो सार्वजनिक बैठकों को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस जानबूझकर बंगाली हिंदुओं को “बांग्लादेशी” बताकर असम के संवेदनशील माहौल में दरार पैदा करने की कोशिश कर रही है. सरमा ने कहा, “कांग्रेस इस तरह की बातें कहकर लोगों के जीवन को जोखिम में डालने का प्रयास कर रही है. कांग्रेस ने कई बार ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदू बंगाली समुदाय को निशाना बनाया है. हमने इन मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया है, लेकिन कांग्रेस फिर से इन्हें भड़का रही है. यह सिर्फ निहार का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे समुदाय को प्रभावित करने का प्रयास है.”
सरमा ने कहा कि बराक घाटी 125 किलोमीटर लंबी सीमा बांग्लादेश से साझा करती है, वहां नागरिकता एक अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है. 1947 के विभाजन के बाद, बड़ी संख्या में बंगाली हिंदू यहां आकर बसे थे. भाजपा ने बंगाली हिंदुओं के समर्थन में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) का मुद्दा उठाया है, ताकि उन्हें सुरक्षा प्रदान की जा सके. सीएए के तहत नागरिकता आवेदन के लिए अब तक बहुत कम लोगों ने आवेदन किया है, लेकिन असम सरकार ने राज्य की सीमा पुलिस को निर्देश दिया है कि वे धार्मिक अल्पसंख्यकों को सीधे संदर्भित न करें और उन्हें सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित करें.
हिमन्ता ने आगे कहा, “अमिया कांति दास या कोई और भी इस मुद्दे को उठाए, अगर इस पर चर्चा होती है, तो कई और लोग भी ट्रिब्यूनल के चक्कर में पड़ेंगे. निहार रंजन के पास सभी वैध दस्तावेज हैं, उनका नाम एनआरसी में भी दर्ज है. कांग्रेस की इस राजनीतिक चाल का असर निहार पर नहीं, बल्कि 10 अन्य लोगों पर पड़ेगा. कांग्रेस यहां राजनीति कर रही है ताकि बंगाली हिंदू समुदाय को फिर से निशाना बनाया जा सके.” गौरतलब है असम में इस नए विवाद ने नागरिकता और पहचान के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है, खासकर ऐसे समय में जब राज्य में उपचुनाव नजदीक हैं.
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