भोपाल। दमोह जिले के कांग्रेस नेता देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड की सुनवाई कर रही कोर्ट और विवेचना कर रही पुलिस में ठन गई है। दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ हाईकोर्ट में लिखित शिकायत की है। हटा न्यायालय के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने आदेश पारित कर स्वयं पर पुलिस द्वारा भविष्य में गंभीर मिथ्या आरोप लगाने और कोई अप्रिय घटना करने की आशंका जताई है। जबकि विवेचना कर रही पुलिस अधिकारी ने भी कोर्ट पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी और हाईकोर्ट जबलपुर के रजिस्ट्रार जनरल तक पहुंच गया है। हटा न्यायालय में चल रहे देवेन्द्र चौरसिया हत्याकांड में पथरिया विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह आरोपी हैं। 6 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान इसमें नया पेंच सामने आ गया है। जिससे न्यायालय और पुलिस के बीच में टकराव की स्थिति बन गई है। दोनों एक दूसरे पर भविष्य में गंभीर आरोप-प्रत्यारोप लगाने के संदेह को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक पत्र के माध्यम से अपनी बातें पहुंचा रहे हैं। यहां तक कि मामले की सुनवाई कर रहे द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने स्वयं पर पुलिस द्वारा भविष्य में गंभीर मिथ्या आरोप लगाने और कोई अप्रिय घटना करने की आशंका जताई है। जबकि हटा की महिला एसडीओपी ने द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश के व्यवहार से नाखुश होकर एसपी और रजिस्ट्रार जनरल जबलपुर हाईकोर्ट को स्थिति से अवगत कराया है। इन दोनों के बीच मध्यस्थता करने वाले एएसपी ने भी एसपी को पत्र लिखकर हटा की न्यायालय द्वारा उनके खिलाफ कोई गंभीर टिप्पणी पारित करने की बात कही है। ऐसे में पूरी तरह से मामला पेंचीदा हो गया है। अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं।
एसडीओपी ने की लिखित शिकायत
दरअसल हटा एसडीओपी भावना दांगी ने द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश हटा की लिखित शिकायत में बताया कि उन्होंने 31 जनवरी को हटा में एसडीओपी के पद पर ज्वाइन किया था और 6 जनवरी को देवेंद्र चौरसिया हत्या कांड में आरोपी गोविंद सिंह की गिरफ़्तारी के संबंध में कोर्ट में पेश हुई थी। इस बीच उनके द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी न होने पर उसकी तालाशी व फरारी पंचनामा प्रस्तुत किया गया, लेकिन इसके बाद भी कोर्ट में उन्हें चार घंटे खड़ा रखा गया, आरोपियों से मिली होने सहित कई तरह के अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करके अपमानित किया गया। जिससे वे रोई भी और सहम भी गईं। इस मामले को लेकर उन्होंने पुलिस अधीक्षक और रजिस्ट्रार जनरल हाईकोर्ट जबलपुर को लिखित में शिकायत दर्ज कराई है।
एसडीओपी ने की लिखित शिकायत
दरअसल हटा एसडीओपी भावना दांगी ने द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश हटा की लिखित शिकायत में बताया कि उन्होंने 31 जनवरी को हटा में एसडीओपी के पद पर ज्वाइन किया था और 6 जनवरी को देवेंद्र चौरसिया हत्या कांड में आरोपी गोविंद सिंह की गिरफ़्तारी के संबंध में कोर्ट में पेश हुई थी। इस बीच उनके द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी न होने पर उसकी तालाशी व फरारी पंचनामा प्रस्तुत किया गया, लेकिन इसके बाद भी कोर्ट में उन्हें चार घंटे खड़ा रखा गया, आरोपियों से मिली होने सहित कई तरह के अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करके अपमानित किया गया। जिससे वे रोई भी और सहम भी गईं। इस मामले को लेकर उन्होंने पुलिस अधीक्षक और रजिस्ट्रार जनरल हाईकोर्ट जबलपुर को लिखित में शिकायत दर्ज कराई है।
न्यायाधीश ने भी पत्र में किया उल्लेख
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने एक ऑर्डर सीट में लिखा है कि जिस मामले की वे सुनवाई कर रहे हैं, इसकी कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर की जा रही है, मगर अभियुक्तगण अत्यधिक प्रभावशाली और राजनैतिक होकर उनके खिलाफ माननीय जिला न्यायाधीश महोदय को आवेदन कर चुके हैं। जिसे जिला न्यायाधीश ने मिथ्या पाया और आवेदन भी निरस्त कर दिया, लेकिन अब अभियुक्तगण पुलिस के साथ मिलकर उनके खिलाफ झूठा और मनगढंत दबाव बनाया जा रहा है। पुलिस अधिकारी भविष्य में उनके खिलाफ गंभीर मिथ्या आरोप लगा सकते हैं और कोई अप्रिय घटना की जा सकती है। द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने इस प्रकरण को किसी अन्य न्यायालय में स्थानांतरित करने की अपेक्षा सत्र न्यायाधीश से की है।
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