लखनऊ, 16 अगस्त(हि.स.)। उत्तर प्रदेश में भदोही जिले के ज्ञानपुर विधानसभा से जीत का परचम लहरा कर लखनऊ के सड़कों पर अपने बाहुबल का परिचय देने वाले विजय मिश्रा बड़ी मुसीबतों में घिर आए हैं।
सूत्रों की मानें तो वाराणसी मंडल के कुछ बड़े ठेकेदारों की कारस्तानी के कारण भाजपा समर्थित जनप्रतिनिधियों एवं दूसरे बाहुबलियों से उनकी सीधी भिड़ंत हो गई है। ठेकेदारों द्वारा चिंगारी को दी गई हवा अब आग की लपट जैसी उठ रही है, जिसकी आग विजय मिश्रा के दामन तक पहुंच चुकी है।
विजय मिश्रा का पुलिस रिकॉर्ड मे नाम एक टॉप मोस्ट अपराधी के रूप में दर्ज है। इनके ऊपर 73 मुकदमे लिखे जा चुके हैं। विजय मिश्रा के समर्थकों की मानें तो 73 मुकदमों में से 64 मुकदमों में वह आरोप मुक्त हो चुके हैं लेकिन मुकदमों की दहशत ऐसी है कि प्रयागराज से लेकर मिर्जापुर, भदोही, बनारस तक विजय मिश्रा की धमक एक दशक पूर्व से बनी हुई है। मिर्जापुर भदोही जिले में गिट्टी बालू का कारोबार करने वाला छोटा से लेकर बड़ा व्यवसायी विजय मिश्रा के दरवाजे पर प्रणाम करने जरूर आता है। यही कारण है कि आसपास के जिलों में भी बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन से जुड़े लोग और ठेकेदारी करने वाले बड़े ठेकेदार विजय मिश्रा की मदद लेकर ही अपने धंधे को करते हैं।
बीते दिनों बनारस और आसपास के जिलों के ठेकेदारों के लामबंद होने और एक दूसरे भाजपा समर्थित बाहुबली नेता से जुड़ने के बाद विजय मिश्रा के बुरे दिन की शुरुआत हो गई। सबसे पहले भदोही टोल प्लाजा पर से विजय मिश्रा के वर्चस्व को कम करने का प्रयास किया गया, जो सफल हुआ। इसके बाद विजय मिश्रा के गांव में चल रहे एक पुराने विवाद को हवा दी गई और जिसके कारण विजय सहित पूरे परिवार के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत हो गया।
पुलिस भी पूरी सक्रियता दिखाते हुए विजय पर दबाव बनाने लगी। विजय मिश्रा को जब अपने गिरफ्तारी एवं एनकाउंटर का भय सताने लगा तो उन्होंने मीडिया के समक्ष आकर के स्वयं के ब्राह्मण होने और जान का खतरा होने की बात बताई।
इसके बाद वह प्रयागराज के जॉर्ज टाउन से लापता होकर मध्य प्रदेश के एक जिले में पहुंच गए। जहां पर उनकी गिरफ्तारी हो गई और भदोही पुलिस वहां जाकर ट्रांजिट रिमांड लेकर उनको लेकर वापस आने लगी। इसके बाद बाहुबली विजय मिश्रा ने एक बयान मीडिया के समक्ष दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक जाति के माफियाओं का शासन हो गया है। योगी जी की सरकार केंद्र की सरकार को बदनाम कर रही है।
बताया जा रहा है कि बनारस जिले के भीतर ठेकेदारों का एकजुट होना, उसके साथ ही ठेकेदारों को उनका नया नेता मिल जाना और विजय मिश्रा के बाहुबल को कम करने की रणनीति के तहत पीछे लगना, विजय मिश्रा को सामाजिक और राजनीतिक रूप से समाप्त करने की तैयारी ही मानी जा रही है।
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